शब्द भाव संप्रेषण की महत्त्वपूर्ण कड़ी होते हैं। हम कब, कहां और किस प्रकार शब्दों का प्रयोग करते हैं, यह हमारे जीवन की सफलताओं-असफलताओं को निर्धारित करता है। इनके माध्यम से हम अपने विचार, भावनाएं और इच्छाएं व्यक्त करते हैं। यह न केवल संचार का एक माध्यम है, बल्कि हमारे सामाजिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। शब्दों का सही चयन और उन्हें सही समय पर बोलना हमारे जीवन को आसान बना सकता है, जबकि विपरीत परिस्थिति में यह जीवन को जटिल भी कर सकता है। बोलना, विशेष रूप से संवाद करना, किसी भी रिश्ते की बुनियाद होती है।
उदाहरण के तौर पर ‘हम’ शब्द को देख सकते हैं। ‘हम’, ‘साथ’, ‘हमारा’ आदि से रिश्तों में न केवल जुड़ाव बढ़ता है, बल्कि आपसी समझ और विश्वास भी गहरा होता है। किसी पारिवारिक समस्या को सुलझाते समय अगर ‘तुम’ के बजाय ‘हम’ का प्रयोग किया जाए, तो यह भाव व्यक्त होता है कि हम समस्या का समाधान मिलकर करेंगे। इससे संबंध मजबूत होते हैं और टकराव कम होते हैं। मनोवैज्ञानिक रूप से देखा जाए, तो जब कोई व्यक्ति ‘हम’ शब्द सुनता है, तो मस्तिष्क में आक्सीटोसिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे परस्पर सहयोग और जुड़ाव की भावना उत्पन्न होती है।
समूह के प्रति बढ़ती निष्ठा
शब्दों में गहरी शक्ति होती है और जब ‘हम’ शब्द का प्रयोग किया जाता है, तो यह सामूहिक प्रयास, सहयोग और एकता का संदेश देता है। यह एक सकारात्मक और सहयोगात्मक वातावरण बनाने में मदद करता है, चाहे वह परिवार हो, कार्यालय हो या मित्रता। जब कोई नेता अपने भाषण में ‘हमारे देश’, ‘हमारी जिम्मेदारी’ जैसे शब्दों का उपयोग करता है, तो वह अपने श्रोताओं में एकता और प्रेरणा का संचार करता है। मनोविज्ञान यह बताता है कि हम कुछ लोगों के साथ होने पर कुछ बोलते हुए जब ‘हम’ शब्द का प्रयोग करते हैं, तो हमारा मस्तिष्क इसे एक सामूहिक पहचान के रूप में स्वीकार करता है। इससे समूह के प्रति निष्ठा बढ़ती है और व्यक्ति अधिक प्रेरित महसूस करता है। वहीं, जब हम इस दौरान ‘तुम’ या ‘मैं’ का प्रयोग करते हैं, तो यह एक अलगाव की भावना को जन्म देता है। हालांकि व्याकरणिक दृष्टिकोण से संदर्भ या आवश्यकता के अनुसार ‘मैं’ शब्द के प्रयोग पर कोई प्रश्न नहीं है।
जीवन जीने का एक दृष्टकोण है कृतज्ञता की भावना, हर छोटी घटना में छिपी होती है बड़ी सीख
हमारा दृष्टिकोण और हमारी भाषा जीवन की दिशा तय करती है। सामूहिकताबोध का दृष्टिकोण न केवल हमारे जीवन को सरल बनाता है, बल्कि हमारी समस्याओं का समाधान भी तेजी से होता है। अगर कोई समूह किसी योजना के तहत काम कर रहा हो और किसी को ‘तुम्हारी गलती’ कहने के बजाय ‘हम यह कैसे बेहतर कर सकते हैं’ कहा जाए, तो यह दृष्टिकोण समूह को समाधान की दिशा में प्रेरित करेगा। मनोविज्ञान के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को यह महसूस होता है कि वह अकेला नहीं है, तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता है और तनाव कम होता है। बातचीत के क्रम सामूहिकताबोध दर्शाने वाले शब्दों से एक सहयोगात्मक मानसिकता विकसित होती है, जो किसी भी कठिनाई का सामना करने के लिए व्यक्ति को मानसिक रूप से तैयार करती है।
चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है संवाद
किसी मुश्किल समय में आपसी संवाद के दौरान जब ‘हम’ का प्रयोग किया जाता है, तो इससे यह संदेश मिलता है कि व्यक्ति अकेला नहीं है, उसके पास एक साथ खड़े रहने वाले लोग हैं। यह भावना व्यक्ति को आत्मविश्वास से भर देती है और उसे मानसिक रूप से सशक्त बनाती है। किसी चुनौतीपूर्ण स्थिति में जब लोग साथ खड़े होते हैं और कहते हैं- ‘हम इसे कर सकते हैं’, तो इसका असर हमारी मानसिक स्थिति पर सकारात्मक होता है। यह न केवल हमारी चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है, बल्कि हमें असफलताओं से भी उबरने की शक्ति देता है।
मनोविज्ञान में इसे ‘सोशल सपोर्ट थियरी’ यानी सामाजिक सहयोग का सिद्धांत कहा जाता है, जिसमें बताया जाता है कि जब व्यक्ति को यह महसूस होता है कि उसे सहयोग मिल रहा है, तो उसका तनाव कम हो जाता है और उसकी कार्यक्षमता बढ़ जाती है। जब हम किसी की परेशानी या दुख को ‘हम’ के दृष्टिकोण से समझते हैं, तो उनकी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। इसका अर्थ है कि हम केवल सलाह देने के बजाय उनकी स्थिति में खुद को रखकर सोचते हैं। यह दृष्टिकोण हमारी सहानुभूति और दूसरों के प्रति हमारी संवेदनशीलता को बढ़ाता है, जिससे संबंध और भी गहरे और मजबूत होते हैं। यह संघर्षों को भी कम करने में सहायक होता है।
समाधान का हिस्सा बनने की करें कोशिश
जब किसी विवाद या बहस में हम खुद को दूसरों से अलग रखने के बजाय ‘हम’ के तौर पर शामिल होते हैं, तो दूसरों को यह संदेश देता है कि हम उनकी समस्या का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि समाधान का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं। यह दृष्टिकोण टकराव और तनाव को कम करने में मदद करता है। इसके विपरीत, ‘तुम’ और ‘मैं’ का भाव विभाजन की मन:स्थिति पैदा कर सकते हैं।
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शब्द केवल भावनाओं और विचारों के संचार का साधन नहीं होते, वे हमारे संबंधों, हमारी मानसिकता और हमारे जीवन की दिशा को भी प्रभावित करते हैं। सामूहिकताबोध को दर्शाने वाले शब्द हमें एक-दूसरे के साथ जोड़ते हैं, संघर्षों को कम करते हैं और एकता की भावना को बढ़ावा देते हैं।