यह जीवन निरंतर गतिशीलता का नाम है। हर नया दिन, हर बीतता हुआ क्षण अपने साथ एक नया अनुभव, एक नई सीख लेकर आता है। समय के साथ जब हम जीवन को गहराई से देखने लगते हैं, तब हमें यह समझ आने लगता है कि जिन बातों को हम एकदम सही मानते हैं, जिन धारणाओं को हम अपनी सच्चाई बना लेते हैं, जरूरी नहीं कि वे हमेशा सही हों। कई बार वही धारणाएं हमें बांधने लगती हैं, भ्रमित करती हैं। वास्तविक ज्ञान तभी प्राप्त होता है, जब हम शांत मन से, स्थिर होकर जीवन को देखने का प्रयास करते हैं। जब हम बिना किसी पूर्वाग्रह के, बिना किसी विचार को पकड़े हुए, केवल एक सजग साक्षी की तरह हर घटना, हर परिस्थिति को देखते हैं, तब जीवन हमें अपनी गहराई से सिखाता है।
यह संसार, समय, जीवन- सब हमारे शिक्षकों के समान हैं। हर बीतता पल, छोटी-बड़ी घटना हमें कुछ न कुछ सिखा जाती है, बशर्ते हम उसे समझने की कला विकसित करें। एक महत्त्वपूर्ण बात जो समय हमें सिखाता है, वह यह है कि किसी भी एक विचार में, एक सोच में या एक भावना में खुद को बांध लेना सही नहीं होता। जीवन बहाव का नाम है, परिवर्तन का नाम है। जो सोच आज हमें उचित लगती है, संभव है कल वही सोच हमें सीमित महसूस कराए। इसलिए जरूरी है कि हम समय के प्रवाह को समझें, और हर विचार को, हर परिस्थिति को समय के साथ धीरे-धीरे सुलझने दें।
भीतर से कोमल और सजग बने रहना जरूरी
यह भी आवश्यक है कि हम अपने मन और बुद्धि से निर्णय लें कि हमारे लिए क्या उचित है, किन रास्तों पर हमें चलना है। यह निर्णय भी बिना किसी जल्दबाजी के, बिना किसी मानसिक तनाव के एक शांत और स्थिर अवस्था में लिया जाए। जब मन शांत होता है, तभी हम अपने भीतर की आवाज को सुन सकते हैं। जीवन हमें यही सिखाता है कि न तो किसी भावना में बह जाना है, न ही किसी विचार में उलझ जाना है। हर चीज को समय पर छोड़ देना चाहिए और खुद को उस विराट सोच के हवाले कर देना चाहिए जो समय के साथ हमारे भीतर प्रकट होती है। वही सोच हमें दिशा देती है, वही हमें परिपक्व बनाती है। जीवन को खुले मन और शांत चित्त से स्वीकार करना ही सच्ची समझदारी है और यही जीवन की कला है।
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यह भी सच है कि जीवन में कोई स्थिरता नहीं है। सब कुछ चलायमान है। भावनाएं आती हैं और चली जाती हैं, परिस्थितियां बनती हैं और फिर बदल जाती हैं। हम जिन चीजों को पकड़ कर बैठ जाते हैं, वही हमारे दुख का कारण बनती हैं। अगर हम इन्हें आने और जाने देना सीख लें, तो शायद जीवन कहीं अधिक सहज, अधिक सुंदर हो जाए। बचपन में हमने जो बातें सीखी थीं, वे हमारे लिए समय विशेष पर उपयुक्त थीं। मगर जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, अनुभवों से गुजरते हैं, वैसी ही नई सच्चाइयां सामने आती हैं, जो पुरानी धारणाओं को चुनौती देती हैं। उस समय हमें अपने भीतर यह क्षमता पैदा करनी होती है कि हम नए विचारों के लिए खुले रहें, और जहां आवश्यक हो, वहां अपनी सोच को परिवर्तित करने में झिझक न करें।
परिवर्तन कोई कमजोरी नहीं है, बल्कि यह हमारी मानसिक परिपक्वता का प्रमाण है। एक वृक्ष तभी तक जीवित है, जब तक उसमें लचीलापन है, जैसे ही वह कठोर हो जाता है, टूटने लगता है। वैसे ही हमारी सोच भी अगर कठोर हो जाए, तो वह हमें आगे नहीं बढ़ने देती। इसलिए जरूरी है कि हम भीतर से कोमल और सजग बने रहें। जीवन में जब हम ठहरते हैं, आत्मनिरीक्षण करते हैं, तो हमें यह अनुभव होता है कि सच्ची खुशी बाहर की वस्तुओं में नहीं, बल्कि हमारे दृष्टिकोण में छिपी होती है। जब दृष्टिकोण बदलता है, तो संसार बदलता है। कठिनाइयां भी अवसर बन जाती हैं और अकेलापन भी आत्मसंपर्क का माध्यम बन जाता है।
हर किसी की यात्रा का समय और दिशा होती है भिन्न
यह जानना भी आवश्यक है कि हर व्यक्ति का जीवन एक अलग राह पर है। इसलिए दूसरों की तुलना में खुद को कमतर आंकना, या किसी की सफलता को देखकर अपने जीवन को नकार देना, स्वयं के साथ अन्याय है। हर किसी की यात्रा का समय और दिशा भिन्न होती है। हमें अपने अनुभवों से सीखते हुए अपने भीतर के प्रकाश को पहचानना होता है। जीवन की यह यात्रा जितनी बाहरी है, उतनी ही भीतर की ओर भी है। अगर हम केवल बाहर की ओर भागते रहेंगे उपलब्धियों, मान-सम्मान, पद, प्रतिष्ठा के पीछे तो आखिर एक खालीपन का अनुभव होगा। पर अगर हम कुछ पल खुद के साथ बैठ सकें, अपने मन की थाह ले सकें, तो वही हमारे लिए जीवन की सबसे बड़ी पूंजी बन सकती है।
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शांति और आनंद बाहर से नहीं आते, वे हमारे भीतर पहले से मौजूद हैं। आवश्यकता केवल उस स्थान तक पहुंचने की है, जहां हम उन्हें महसूस कर सकें। और यह तभी संभव है जब हम जीवन को लेकर अति गंभीर न हों, और उसे सहजता से, खुली बांहों से स्वीकार कर सकें। जीवन हमें यही सिखाता है कि हम सब यात्री हैं। बदलते समय के, बदलती सोच के और बदलते अनुभवों के। कोई अंतिम सत्य नहीं है, कोई अंतिम स्थिति नहीं है। हर क्षण एक नई शुरूआत है, हर दिन एक नया अध्याय। अगर हम इसे खुली आंखों, खुले हृदय और शांत चित्त से देख सकें, तो जीवन ही हमारा गुरु बन जाता है।