सर्द मौसम में जब दिल्ली की गलियों में धुंध उतरती है, तब एक महफ़िल ऐसी सजती है जो दिलों को गर्माहट देती है वो है जश्न-ए-रेख़्ता। यह शाम सिर्फ शेर-ओ-शायरी की नहीं, बल्कि रूह और एहसासात की दावत है। माहौल है ‘जश्न-ए-रेख़्ता’ का यानी उर्दू ज़बान, शायरी, अदब और एहसासात का जश्न, जहां अल्फ़ाज़ महकेंगे और जज़्बात बोल उठेंगे। अगर आप भी उर्दू के शौकीन हैं और शेर को गहराई से समझते हैं तो ये महफिल खास आपके लिए है। दिसंबर की सर्द हवाओं में गर्म लफ़्ज़ों की महक देगी ये महफिल।

दिल्ली की तहज़ीब में बसता है रेख़्ता का रंग

रेख़्ता फाउंडेशन की ये दसवीं पेशकश है जो दिल्ली में आयोजित होगी। ये दुनिया का सबसे बड़ा उर्दू भाषा, साहित्य और संस्कृति का उत्सव है, जो 5, 6 और 7 दिसंबर 2025 को बांससेरा पार्क, नई दिल्ली में आयोजित होगा। इस बार जश्न ए रेख्ता की दसवीं सालगिरह का जश्न है, जिसमें भारत और दुनिया भर के शायरों, लेखकों, संगीतकारों और सांस्कृतिक शख़्सियतों की शिरकत होगी। इस महोत्सव में 300 से अधिक कलाकार और 35 से अधिक सेशन्स पांच मंचों में किए जाएंगे। हर मंच अपने अंदाज़ में उर्दू की नज़ाकत, नूर और नफ़ासत का अहसास कराएगा।

महफ़िल-ए-अदब- लफ़्ज़ों और फ़न का संगम

रेख़्ता की ख़ास पेशकशों में होंगे महफ़िल खाना, दयार-ए-इज़हार, सुख़न ज़ार, बज़्म-ए-ख़याल और ऐवान-ए-ज़ायका, जहां हर मंच उर्दू की नई और पुरानी रूह को जोड़ने का ज़रिया बनेगा। संजीव सराफ़, रेख़्ता फ़ाउंडेशन के संस्थापक जश्न-ए-रेख़्ता को सिर्फ एक इवेंट नहीं, बल्कि लोगों का उत्सव बताते हैं।
यह उस तहज़ीब की निशानी है जो मोहब्बत, अदब और ज़ुबान की नज़ाकत से बनी है।

क्या है ख़ास जश्न-ए-रेख़्ता 2025 में

  • इस बार जश्न में उर्दू की ख़ुशबू और भी गहरी होगी
  • गुलज़ार साहब के साथ शायरी, मोहब्बत और ज़िंदगी की नज़ाकत भरी गुफ्तगू होगी।
  • सुखविंदर सिंह अपने सुरों से रंग-ए-मौसिकी बिखेरेंगे।
  • सलीम-सुलेमान की साज़ और समा में रूहानी सुकून घुल जाएगा।
  • दिल अभी भरा नहीं’ नामक पेशकश में साहिर लुधियानवी को समर्पित कार्यक्रम होगा,जिसमें जावेद अख्तर, शंकर महादेवन और प्रतिभा सिंह बघेल अपनी आवाज़ से अदबी एहसास जगाएंगे।
  • रेख़्ता मुशायरा और रूह-ए-मजरूह में दुनिया भर के मशहूर शायर और गीतकार अपनी कलम की नमी लेकर आएंगे।
  • रेख़्ता बुक्स बाज़ार, रेख़्ता बाज़ार, और ऐवान-ए-ज़ायका में
  • उर्दू किताबों, शिल्प, पोशाक और स्वाद की झलक मिलेगी।
  • सबसे ख़ास, यमुना घाट पर लाइट एंड साउंड शो ऐट बांससेरा रहेगा, जहां रोशनी, संगीत और शेर-ओ-शायरी मिलकर बना देंगे एक रूहानी मंज़र।

महोत्सव में शिरकत कैसे करें

अगर आप इस रूह परवर महफ़िल का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो बांससेरा पार्क तक पहुंचना बिल्कुल आसान है। सराय काले खां मेट्रो स्टेशन से कुछ ही कदम की दूरी पर। पार्किंग की सहूलियत मौजूद है ताकि आने-जाने में कोई दिक्कत न हो।

रेख़्ता के आयोजन में टिकट लेकर एंट्री करनी होगी। एक रोज़ा और तीन रोज़ा पास ऑनलाइन हासिल किए जा सकते हैं। स्टूडेंट के लिए इस बार खास डिस्काउंट रखा गया है। हर शिरकत करने वाले के लिए QR-कोड वाला पास पहले से हासिल करना ज़रूरी है, ताकि आपकी आमद महफ़िल में बे-रोक हो।