सुबह होते ही सूरज निकलने के साथ सारी चिड़िया चहचहाने लगती है और जिंदगी अपने सफर के लिए निकल पड़ती है। रात्रि में भी रोजी-रोटी के लिए काम करने वालों को छोड़ दें, तो शायद हममें से ज्यादातर लोग सुबह उठ जाते होंगे और उठने के कुछ पल बाद ही हाथ में फिर मोबाइल आ जाता होगा। अंगुलियां मशीनी ढंग से मोबाइल पर चलने लगती होंगी। साथ ही रील पर रील निकलती जाती होगी। कभी हास्य, कभी नृत्य, कभी अधकचरा ज्ञान हमारे समय के कांटे को आगे खींचता जाता है। सुस्ताने में मग्न मन बीते कल की आदतों की पुनरावृत्ति कर रहा होता है, दूसरी ओर आने वाले कल के अवसाद और घबराहट की स्थिति अचानक मुंह उठाए सामने खड़ी हो जाती है। रात को दोहराए हुए प्रेरणास्पद और उत्साह जगाने वाले संकल्प न जाने कहां गुम हो जाते हैं। रोजमर्रा की समस्याओं का अंबार सामने चुनौती की तरह नजर आने लगता है। लगने लगता है कि बीता हुआ कल ही सत्य है। जो आज है, वह असत्य है।
इसके बाद फिर हमारे बीते हुए कल से भी केवल नकारात्कता का संदेश ही मिल पाता है। उधर लोग भी पुरानी स्मृतियों के कारण हमें गंभीरता से नहीं लेते हैं तो हम और कुंठित हो जाते हैं। हम बार-बार कभी गुस्से में, कभी उत्साह जगाने वाली बातों से ओतप्रोत जीवन बदलने का दृढ़ संकल्प लेते हैं, लेकिन हमेशा से मन का नकारात्मक प्रतिरूप फिर से हमें अंधकार में धकेल देता है। फिर मन आसान और पलायन वाला रास्ता चुनकर, सारी चुनौतियों को आने वाले कल पर छोड़कर निश्चिंत हो जाता है, जो हमारे जीवन में न तो कभी आया है और न ही कभी आ पाएगा। मन भी क्या करे? उसका काम ही यह है कि वह हमारे विचारों के आधार पर ही जीवन को दिशा देता है।
पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ शुरू करना चाहिए
दरअसल, कल का इस दुनिया के वर्तमान में कोई अस्तित्व नहीं होता है। जो भी होता है, आज ही होता है। गलत आदतों और आलस्य में रचे-बचे होने के कारण व्यक्ति का बदलना बहुत मुश्किल हो जाता है, श्रम करने में परेशानी होती है। आदत कैसी भी हो, अच्छी या बुरी, वह हमारे अंदर एक ढांचा या तौर-तरीका पैदा करती है। जैसे ही समान स्वरूप वाली समस्याएं सामने आती हैं, शरीर पुराने ढांचे में बने होने के कारण उसी तरह व्यवहार करता है। आलस्य से भरा है तो वह आलस्य के ही निर्देश जारी करता है। क्रोध से भरा है तो क्रोध का ही व्यवहार करने लग जाता है।
इसलिए यहां एक तथ्य समझने की जरूरत है कि आज बीता हुआ कल नहीं है। कल जो आदतें यंत्रवत होने के कारण बार-बार दोहराने में आ रही थी, जीवन बार-बार नकारात्मक पैमाने पर चल रहा था, लेकिन आज हमने एक बदलाव के दृढ़ संकल्प रखने के साथ शुरूआत की है, कुछ नई सकारात्मक आदतों का प्रारंभ करने का निश्चय किया है, तो उन्हें पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ शुरू करना चाहिए। प्रारंभ में बहुत तकलीफ हो सकती है। मन बार-बार वहां से भागने को कह सकता है। आदत होने के कारण शरीर बार-बार नकारात्मक दिशा में भागेगा भी। पर हम एक मजबूत इरादे के साथ खड़े होंगे और साथ ही यह दोहराएंगे कि आज, सबसे अलग है, आज बीता हुआ कल नहीं है। जो हम कल नकारात्मक आदतों के साए में जी रहे थे, वह एक आदतवश जिए जा रहे थे। आज, आज है। आज सबसे अलग है। बहती हुई गंगा का जल भी कल जैसा नहीं है। वह आगे निकल गया है। प्रवाह में नए जल ने उसकी जगह ले ली है।
कल की पुरानी स्मृतियां हमेशा हमारे मन में निराशा पैदा करेगी
सच यह है कि आज हम भी कल जैसे नहीं है। हमारे साथ एक दृढ़ संकल्प की चेतना का प्रादुर्भाव हुआ है। हमारे विचारों ने एक नई दिशा पकड़ी है। हम सकारात्मकता के रथ पर सवार हैं। सिर्फ हम अपने आज को छोटी-छोटी बेहतर आदतों का दामन पकड़ कर चलते रहें। कल की नकारात्मक स्मृतियों से थोड़ी परेशानी आएगी। पुरानी आदत के खिलाफ जाते ही मन बहुत विरोध करेगा। बार-बार लगेगा कि बीता हुआ कल ही सबसे बड़ा सच है। लेकिन जैसे ही आज हम एक संकल्प के साथ नई आदतों की शुरूआत करेंगे! कई बार हम अपने आपको न बदलने के कारण मन को बहुत मजबूत समझते हैं, हमें प्रतीत होता है कि हमसे नहीं हो पाएगा। हमारी नकारात्मक आदतें बहुत मजबूत है। हम बहुत कमजोर है। कल की पुरानी स्मृतियां हमेशा हमारे मन में निराशा पैदा करेगी। पुरानी स्मृतियां बार-बार यह संदेश देगी कि पहले भी बहुत बार किया पर हम असफल रहे, लेकिन हम भूल जाते हैं कि आज, आज ही है।
आज अगर हम अपने जीवन में कोई सकारात्मक कदम उठाएंगे, तो उसकी सफलता पाने का पैमाना कल नहीं है। कल कभी आज के बारे में सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सकता। आज सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। हम आज प्रयास करेंगे, तो निश्चित रूप से सफलता के पथ पर बढ़ते जाएंगे। सिर्फ मन को मजबूती से आदेश देने की जरूरत है। मन हमारे निर्देश पर ही चलता है, इसलिए गुलाम है, उसे हम स्वामी न बनाए। अगर हम आज मजबूती से डटे रहे, आज अपनी नई आदतों का सुचारु रूप से पालन करते रहे तो मन झट से आत्मसर्मपण कर देगा। इसलिए बस आज का ध्यान रखना चाहिए। बदलने के लिए सिर्फ आज ही महत्त्वपूर्ण है, आज हम बदले, तो हमारी दुनिया का बदलना निश्चित है।