मोहम्मद जुबैर

सद्गुणी होने के लिए प्रयास करने होते हैं। जब प्रयास नहीं किया जाता है, तब ऐसा करने वाला दुर्गुणी हो जा सकता है। दुनिया हमने प्रयासों से सजाई है। वह फिर मूल स्थिति में जाना चाहती है। एक सुंदर इमारत को अगर हम कुछ समय के लिए छोड़ देते हैं, तो वह खंडहर में तब्दील होने लगती है और फिर धरती में मिल जाना चाहती है।

हिंसक अंगुलिमाल किस हद तक क्रूर हो गया था? वह बुद्ध के प्रयासों से अहिंसक बन गया था। सिगमंड फ्रायड ने अपने मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत में मूल प्रवृत्तियों इदम्, अहम्, पराअहम् से उत्पन्न मानसिक संघर्षों की व्याख्या करते हुए कहा कि मूलत: व्यक्ति अपने सुख की कल्पना करता है। यह पशु प्रवृत्ति होती है। सामाजिकता और नैतिकता पर आधारित आदर्शवाद और आध्यात्मिक अवस्था पर पहुंचने के प्रयास में व्यक्ति में बुद्धि और तार्किकता पर आधारित मध्यम प्रवृत्ति विकसित होती है।

आसान शब्दों में कहें तो मानव स्वभाव से हिंसक और पशु होता है। अब भले यह खोजने-जानने की बात हो कि स्वभाव के निर्माण की बुनियाद क्या होती है और किस बुनियाद से आखिर स्वभाव संचालित होने लगता है। जो हो, मनुष्य महान होने के प्रयास में ही बेहतर इंसान बनता है। उदाहरण से समझ सकते हैं कि जब पत्थर की खोज हुई, तब मनुष्य ने उसका सबसे पहला इस्तेमाल शायद पशु को मारने के लिए किया, जबकि सभ्यता को तो हमने प्रयासों से गढ़ा है। यह सब नष्ट होने पर आतुर है। हमारे प्रयास ही इसे आगे बढ़ाते हैं।

इसी प्रकार, हमें जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के लिए प्रयास करने होते हैं। हम रोजाना बेहतर करने के सैकड़ों निर्णय लेते हैं और अधिकांश निर्णय स्वयं में ही खारिज कर देते हैं या अमल में लाने का प्रयास नहीं करते हैं। यह हमें दिन-प्रतिदिन पीछे ले जाता है और वैसे लोग जो अपने निर्णयों को मूर्त रूप देने का प्रयास करते हैं, सफल हो जाते हैं।

यह एक आम सलाह हो सकती है कि हमें अपने सपनों से समझौता नहीं करना चाहिए और प्रगति के लिए जीवन भर प्रयासरत रहना चाहिए। अल्बर्ट आइंस्टीन महोदय कहते हैं कि जिंदगी साइकिल चलाने की तरह है। संतुलन बनाए रखने के लिए चलते रहना होता है। यानी जीवन में संतुलन के लिए प्रयास आवश्यक हैं। समस्याएं तब आती हैं, जब हम प्रयासरत नहीं होते हैं।

जीवन के अंतिम चरण बुढ़ापे को ही देखा जा सकता है, जहां व्यक्ति के प्रयास शिथिल पड़ने लगते हैं और क्रियात्मकता शून्य होने लगती हैं। इस अवस्था में समस्याएं घेरने लगती हैं। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि जीवन में ठहराव और संतुष्टि विनाश का कारण बनती है। दार्शनिक जेएस मिल कहते हैं कि एक संतुष्ट सूअर होने की अपेक्षा असंतुष्ट मनुष्य होना श्रेष्ठ है। असंतुष्टि प्रयास के लिए प्रेरित करती है और प्रयास प्रगति को जन्म देते हैं।

इतिहास इस बात का साक्षी है कि जो भी महान बना है, उसमें उसके प्रयास निहित हैं। बशीर बद्र प्रयास की महत्ता को उजागर करते हुए कहते हैं कि ‘ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं, तुमने मिरा कांटों भरा बिस्तर नहीं देखा’। दरअसल, व्यक्ति अपनी सफलता की कहानी स्वयं गढ़ता है। इसे अनेक महापुरुषों ने आवाज दी है कि आपका भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आज आप क्या करते हैं।

उपलब्धियां उसे ही मिलती हैं, जो सही दिशा में कोशिश करते हैं। यह जगजाहिर है कि इससे पहले कि सपने सच हों, आपको सपने देखने होंगे। सर्वप्रथम अपने मन को तैयार करना होता है। मन की शक्ति अद्भुत है, बशर्ते इस पर अमल करने का साहस होना चाहिए। साहस जीवन से डर को खत्म कर देता है। जब जीवन में असफलता का डर नहीं होगा तो सपनों को साकार करना सहज हो जाता है और मन की शक्ति व्यक्ति के व्यक्तित्व के नए आयाम खोल देती है।

व्यक्ति का व्यक्तित्व उतना ही है, जितना उसने स्वयं के प्रयास से अर्जित किया है या जिसने खुद के सपनों को साकार किया है। अकर्मण्यता तो विरासत में मिली उपलब्धियां भी खा जाती हैं। हमें कर्म करते जाना चाहिए। हर धर्म और मत यही सिखाता है कि हमें भविष्य की कल्पनाओं में गोता लगाने और फल की चिंता में डरने के बजाय कर्म को प्राथमिकता देनी चाहिए। स्वाभाविक है कि हम फल के लिए वृक्ष लगाएंगे तो फल ही मिलेंगे।

फिर फल की चिंता क्यों करनी है? सभी महान लोगों ने सादा जीवन उच्च विचार पर बल दिया है। चूंकि व्यक्ति के विचार ही व्यवहार में बदलते हैं, इसलिए विचार बुलंद रखने चाहिए। कहते हैं, सपना जितना बड़ा होगा, जीत उतनी बड़ी होगी। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि इस धरती पर हर कोई बुद्धिमान है। बस जिज्ञासा चाहिए, लगन, जुनून, जज्बा, साहस चाहिए।

इस जहां में अंधेरा व्याप्त है। उजियारे के लिए सूरज ने सुबह किया और हमारे प्रयासों ने रातों को रोशन। यही सच है कि कुदरत ने हर व्यक्ति को जीवन रूपी दीपक दिया है। बस उसे प्रज्वलित करना है और हजार तूफानों से उसे बचाए रखना है।