प्रभात कुमार
हमेशा ऐसा माना जाता रहा कि कह नहीं सकते कि प्यार किसको, किससे, कब और कहां हो जाए। प्रेम दरअसल, रंग, कद, शक्ल नहीं देखता। प्रेमियों को जाति, क्षेत्र, जिला या देश नहीं दिखता। यह अनुभव, घटना या कहिए परिस्थिति खुली आंखों से भी नहीं दिखने वाली कही जाती है। आजकल जिसे प्यार कहते हैं, यह समायोजन है या संयोजन है, क्या है? इस बारे दिलचस्प गपशप हो सकती है। प्यार के दुश्मन कम नहीं, लेकिन शुभचिंतक भी हैं, समझाने वाले भी हैं। पहेलियां बनाने वाले हैं, तो बुझाने वाले भी हैं।
पुल पर चलते रहने के लिए सद्भाव निरंतर थामे रखना होता है
पिछले दिनों प्रेम क्षेत्र में नए ज्योतिषीय निर्देशक उभर कर आए। उन्होंने सुझाया कि प्यार में पड़ने से पहले कुंडली दिखा लिया करें। विवाह तो सितारों के अनुसार पहले से सुनिश्चित होता है, यानी भाग्य से तय होना ही है। यह बात दीगर है कि वैवाहिक सामंजस्य और विच्छेद के माहिर सलाहकार भी यही मानते हैं कि शादी एक व्यवस्था है। प्रेम और संतुलन का हिलता-डुलता पुल है। इस पुल पर चलते रहने के लिए सद्भाव निरंतर थामे रखना होता है। संबंधों की देखभाल करनी होती है। वैवाहिक रिश्तों के बारे अनेक बातें रोज की जाती हैं। बहुमूल्य सुझाव दिए जाते हैं। यह मत करो, वह करो, ऐसा न करें, वैसा तो बिल्कुल न करें, ताकि शादी सफल और सुफल रहे।
शादी किस्मत के मुताबिक ही होती हैं
समझदारों द्वारा जन्म कुंडलियों का वांछित, उचित गुण मिलान करने के बाद भी पत्नी-पति के बीच पंगे-अड़ंगे, झगड़े-तकरार और इनकार-विकार बरकरार हैं। प्यारे बच्चे हैं। कुछ दंपति एक दूसरे के विरुद्ध मोर्चे की तरह जीते हैं। अकेले रहने के बारे सोचते रहते हैं, लेकिन कितने ही पूरे साल साथ रह रहे होते हैं। प्रचारक ज्योतिषियों का कहना हैं कि प्यार कुंडली को मानकर, समझ-बूझ, जान कर करें, क्योंकि शादी किस्मत के मुताबिक ही होनी है। अपने व्यवसाय का प्रचार करते हुए कहते हैं कि शादी के दो साल बाद तक की परिस्थितियों में कौन-सी तारीख, मुहूर्त अहम है, वे पहले बता देंगे। इससे लोग विवाह के बाद के बदलाव स्वीकार करने के लिए तैयार हो सकते हैं। पहले से ही तय कर सकेंगे कि आपस में कैसा व्यवहार और बदलाव करना है।
दुनिया भर में अपने अपने विश्वास, अंधविश्वास, टोने-टोटके हैं
ज्योतिष पूरी दुनिया में है। दुनिया भर में अपने अपने विश्वास, अंधविश्वास, टोने-टोटके हैं। प्रसिद्ध लोग भी कहते हुए पाए जाते हैं कि इससे उन्हें फायदा होता है। विदेशों में भी यह प्रचलन बढ़ रहा है। क्या वहां भी जिंदगी में टहल रही परेशानियों के कारण, सुरक्षा घेरा बनाने के लिए, भविष्य में होने वाली अप्रिय घटनाओं या दुर्घटनाओं से बचने के लिए ऐसा किया जा रहा है?
दरअसल, जिंदगी खुशनुमा रास्तों से दुखनुमा गलियों में आ रही है। विकास विनाश को साथ लाया है। पश्चिमी देशों में तो वैवाहिक रिश्ते टिकना चुनौती रही। अब तो हमारे यहां भी इन्हें दुर्घटना माना जाने लगा है। हमारे समाज में भौतिक विकास के साथ विदेशी दृष्टिकोण उग रहे हैं। शायद उन्हीं से बचने के लिए भारतीय संस्कृति के अंग ज्योतिष की मदद ली जा रही है।
सवाल है कि क्या हमारे समाज में बनाए जा रहे वैवाहिक रिश्ते, ज्योतिषीय सलाह और उपायों से सचमुच लाभान्वित और स्थायी होते रहे हैं। सच यह है कि वर्तमान जीवन शैली में घर चलाने के लिए पति-पत्नी दोनों को काम करना पड़ रहा है। सक्षम लड़कियां शादी के बाद अपने लिए जगह और वक्त चाहती हैं। आपसी नोकझोंक, परेशानियां और तनाव में इजाफा हो रहा है। बहुत मामलों में दोनों चुपचाप अपने अपने शांत रास्ते अख्तियार कर रहे हैं, क्योंकि दोनों को एक दूसरे की जरूरत भी है। अकेले रहने की दुश्वारियां ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं। खासतौर पर महिलाओं के लिए। कुछ विवाहित संतान पैदा नहीं करना चाहते।
व्यावसायिक स्तर पर विवाह संस्था खतरे में तो है, हालांकि अभिभावक यही चाहते हैं कि किसी तरह उनके बच्चों की शादी सुलटी रहे, ताकि उनकी अपनी जिंदगी भी सहज रहे। अगर काफी कुछ संभावित परिस्थितियां और घटनाएं ज्योतिषी पहले बता देगा, वार्षिक फल में मासिक विवरण भी उपलब्ध करवा देगा तो क्या विवाह करने जा रहे भावी पत्नी-पति का आत्मविश्वास कम नहीं होगा? उन्हें तो जरा-जरा सी बात के लिए खास दिन, मुहूर्त पर निर्भर रहना होगा! खुद ज्योतिष आता नहीं, तो दूसरों के निरंतर संपर्क में रहना होगा।
समझदार व्यवसायिक ज्योतिषी उनसे अपनी सेवाओं के एवज में मनमानी भुगतान भी लेगा। जिंदगी की स्वाभाविक परेशानियों और आकस्मिक दुखों को झेलने, निबटने की नैसर्गिक शक्ति कमजोर हो जाएगी। संघर्ष के चंगुल में पहले से फंसा व्यक्ति भविष्य के बारे में चिंतित होना शुरू हो जाएगा। तब क्या सभी विवाह करना चाहेंगे?
दरअसल, यह सकारात्मक मानवीय सोच और साहस को अंधविश्वास के जाल में झोंक कर और कमजोर कर बाजार के हवाले करने का प्रयास लगता है, जिससे पूरी तरह बचने की जरूरत है। यशस्वी विचारक, चिंतक और जीवन प्रशिक्षक कहते हैं कि आज में जियो, कल की चिंता मत करो।