गुजरात सरकार एक ऐसा अस्पताल बनाने की तैयारी में है, जिसमें सिर्फ बेटा या सिर्फ बेटी पैदा करने वाले कपल्स पर अध्ययन होगा। गुजरात की सीएम आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को गुजरात फाउंडेशन डे के मौके पर छोटा उदयपुर के पूवी जेतपुर के एक कार्यक्रम में कहा , “मैं एक महिला हूं। महिला होने के नाते मैं यह समझती हूं कि महिलाओं को शारीरिक और मानसिक तौर पर किस तनाव से गुजरना पड़ता है। ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं या कई परिवार हैं जिनके बारे में हम सुनते हैं कि जहां बेटों की चाहत में मनमुटाव या अक्सर तलाक हो जाता है।”
सीएम ने कहा, “अगर दो लड़कियां हैं और तीसरी भी लड़की हो तो वे बेटे चाहते हैं। पुरुष दोबारा शादी करने की बात करते हैं, जिससे महिलाओं को मानसिक तनाव होता है। अगर पुरुष की भी गलती हो तो दोष महिलाओं को ही दिया जाता है। इसलिए राज्य सरकार ने यह फैसला किया है कि ऐसे परिवारों की मदद के लिए एक अस्पताल बनाया जाएगा। ये अस्पताल ऐसे कपल्स की उस समस्या को लेकर रिसर्च और परीक्षण करेंगे जिसकी वजह से कई लड़कियों का जन्म होता है, लड़कों का नहीं। ठीक उसी तरह कई परिवार हैं, जिनके बेटे हैं और वे एक बेटी चाहते हैं। हालांकि, दो, तीन या चार बच्चों के बाद उनकी इच्छा पूरी नहीं हो पाती।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अस्पताल जल्द ही अहमदाबाद में बनेगा। इसके लिए बजट राज्य सरकार देगी। ये अस्पताल अभिभावकों के डीएनए की जांच करेगी ताकि अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में जाना जा सके। सीएम ने कहा, “आठ महीने के अंदर अहमदाबाद में अस्पताल तैयार हो जाएगा जिसके बाद उन समस्याओं का हल निकलेगा, जिसकी वजह से मेरी बहनों को इतना परेशान होना पड़ता है। ये वे मुद्दे हैं, जिसकी वजह से घरों में अशांति होती है। महिलाओं का परित्याग होता है और तलाक होते हैं। शारीरिक तौर पर विकार वाले बच्चे पैदा होते हैं और गर्भपात होता है, जो बेहद तकलीफदेह है।”
उन्होंने कहा, “मैं ये कहानियां सुनती रहती हूं। मैं आपको भरोसा दिलाती हूं कि इन सबका इलाज अभिभावकों के डीएनए का रिसर्च करके हो सकता है। हमने इस स्पेशल अस्पताल के लिए बजट रखा है। यह अस्पताल सिर्फ डिलिवरी के लिए नहीं होगा, बल्कि यहां महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी हर समस्या का इलाज होगा।”
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