
मानव से ऊपर उठते हैं तो हम पाते हैं कि प्रकृति का कण-कण प्रेम की अभिव्यक्ति है।
सफलता को सर्वोपरि मानते हुए तमाम सामाजिक मूल्यों को दरकिनार करना जैसे सामान्य बात हो गई है।
पारिवारिक और सामाजिक संबंधों की मजबूती के लिए आपसी बातचीत भी जरूरी है।
वादे हमारे संबंध बनाने का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं।
वर्तमान समय में हमारी शिक्षा व्यवस्था ही अंकों पर प्रतिभा का मानक तैयार करने वाली प्रणाली बन गई है।
बच्चों पर व्यावसायिक सपने लादने का सफल, सांस्कृतिक शैक्षिक माहौल हमने परस्पर सहयोग से बहुत सालों में बड़ी शिद्दत से…
डाकिए के थैले में चिट्ठियां नहीं, संवेदनाओं का भंडार होता।
आत्महत्या की प्रवृत्ति जितनी मनोवैज्ञानिक है, उतनी ही सामाजिक भी। आत्महत्या को समाज के प्रयासों से रोका जा सकता है।…
दूसरों को खुश रखने का प्रयास करने से बेहतर है कि हम खुद खुश रहें।
हमारी जिंदगी में कुछ परेशानियां तो अपने आप ही आ जाती हैं लेकिन कुछ परेशानियां हम स्वयं बुलाते हैं।
न्यायाधीश ने कहा कि न्यायिक आत्म-संयम का सिद्धांत उन मामलों में लागू नहीं होता है जिनमें नागरिक अधिकारों या मानवाधिकारों…