climate change, natural disasters, deforestation
दुनिया मेरे आगे: पहाड़ टूट रहे, नदियां उफना रही हैं; हमने जंगल काटे, पहाड़ खोदे तो अब आपदाओं से क्यों कांप रहे हैं

भारत के पहाड़ टूट रहे हैं, नदियां उफन रही हैं और आपदाएं बढ़ रही हैं। जानिए कैसे जंगल काटने और…

development versus humans, environmental crisis, social values
दुनिया मेरे आगे: तरक्की की दौड़ में हम खुद ही काट रहे हैं अपनी जड़ें, इंसानियत और कुदरत को भी नहीं छोड़ा

जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें दीपिका शर्मा के विचार।

दुनिया मेरे आगे: इंसान को महत्त्वाकांक्षी होना चाहिए या नहीं? जानिए हमारे जीवन के लिए क्या है जरूरी

इसमें दोराय नहीं कि महत्त्वाकांक्षा व्यक्ति के भीतर की क्षमताओं में उभार लाकर उसे अपने यथास्थिति का शिकार हो गए…

Uttarakhand flood, Kedarnath repeat, man-made disaster
Blog: उत्तरकाशी से किश्तवाड़ तक बादल फटना साफ चेतावनी, विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण को न भूलें

पहाड़ी इलाकों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं प्रकृति से खिलवाड़ को लेकर एक गंभीर चेतावनी है। इन आपदाओं…

Cloudburst 2025, Kishtwar cloudburst, Jammu Kashmir disaster, Climate change in Himalayas
संपादकीय: धराली से किश्तवाड़ तक तबाही, अपनी गलती के लिए प्रकृति को क्यों ठहराएं जिम्मेदार?

पहाड़ों पर अधिक संख्या में पर्यटकों के आने, वाहनों की आवाजाही बढ़ने और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने यहां की…

Indian culture, youth mindset, tradition vs modernity, western influence
दुनिया मेरे आगे: क्या मॉडर्न बनने के लिए परंपराओं से बगावत जरूरी है? जड़ें सूखी तो हरी-भरी टहनियां भी नहीं बचेंगी

संयुक्त परिवारों की वे जड़ें, जिनमें परिवार रूपी वट वृक्ष सांस लेता था, अब ‘फ्लैट संस्कृति’ में गमले के पौधे…

Uttarakhand flood, Kedarnath repeat, man-made disaster
संपादकीय: उत्तराखंड में फिर दोहराया केदारनाथ जैसा मंजर, पहाड़ों को मैदान बनाने की सजा भुगत रहा उत्तरकाशी

इस घटना ने वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई बाढ़ की त्रासदी की याद दिला दी है, जिसमें बड़ी संख्या…

Solitude, Loneliness, Self-awareness, Inner Peace
दुनिया मेरे आगे: अकेलापन नहीं, एकांत चुनिए — स्वयं से जुड़ने, सोचने और कुछ नया रचने का यही होता है उपयुक्त अवसर

जब तक खुद से साक्षात्कार नहीं होता है, मौन बैठा रचनात्मकता का बीज अंकुरित नहीं होता है। ध्यान और जागरूकता…

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दुनिया मेरे आगे: समाज नहीं, खुद तय करें आप कौन हैं? जीवन की सबसे जरूरी और अनकही यात्रा है खुद को समझना

दार्शनिक लाओत्से ने लिखा है, ‘यदि आप दूसरों को समझते हैं, तो आप होशियार हैं। यदि आप खुद को समझते…

Hormuz Island
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दुनिया के इन देशों में बरसती है ‘खून जैसी बारिश’, जानिए क्यों होती है ब्लड रेन!

Blood Rain: खून जैसी बारिश’ या ब्लड रेन एक दुर्लभ लेकिन नेचुरल घटना है। इस घटना ने न केवल वैज्ञानिकों…

Dunia mere aage, inner turmoil, emotional storm
दुनिया मेरे आगे: भीतर उठते तूफानों को समझिए, ध्यान से मिलेगा बेचैनी का समाधान

अंतस के झंझावात पूरे शरीर पर एक बड़ा प्रभाव डालते हैं। इनका सबसे बड़ा और सबसे महत्त्वपूर्ण प्रभाव जो एक…

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