
साहित्य अनेक रूपों में अपने आप में पर्याप्त है। जहां तक साहित्य के निर्माण का सवाल है, उसके लिए संवेदनशील…
सब याद रखा जाएगा…नागरिकता संशोधन कानून विरोध प्रदर्शन से लेकर किसान आंदोलन तक में इंटरनेट के जरिए कई ऐसी कविताएं…
पंडित जी।’‘जी मालकिन।’‘छठ व्रत का दिन नजदीक आ गया, पंचू ने अब तक सूप-दौरा नहीं पहुंचाया।
ज्वाला प्रसाद ने अपनी मिचमिचाती आंखों से देखते हुए कहा- ‘गणेशी, अभी धुंआ उठना भी शुरू नहीं हुआ।’
गुप्त जी के पद्य में नाटकीयता तथा कौशल का अभाव होने पर भी संतों जैसी निश्छलता और संकुलता का अप्रयोग…
नौ अक्तूबर 1957 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे अशोक महेश्वरी ने रुहेलखंड विश्वविद्यालय से…
कहते हैं कि सामूहिक यादाश्त छोटी होती है, लेकिन भारतीय राजनीति के क्षेत्र में गलत याद को पीढ़ियां विरासत में…
इस बार इस सूची में भारत की गीतांजलि श्री के अनूदित उपन्यास ‘टोंब आफ सैंड’ को शामिल किया गया है।
वेस्ट लैंड’ लिखने के दौर से ही इलियट इसके विस्तार और रचना विधान को लेकर दुविधा में थे।
इलियट की कविता ‘द वेस्ट लैंड’ के प्रकाशन के तकरीबन चौदह साल बाद एक कृति हिंदी में आती है।
कविता को संस्कृति का सबसे प्रामाणिक रचनात्मक दस्तावेज माना गया है।