
जब पूरी दुनिया में शरलाक होम्स के जासूसी उपन्यासों का जलवा था तब बंगाल के शरदेंदु बंदोपाध्याय ने ब्योमकेश बक्शी…
‘चंद्रकांता’ का एक पन्ना शुरू करने के बाद उपन्यास के अंत तक पहुंचना पाठकों की मजबूरी बन जाती थी। उन्होंने…
कोई हमारी आलोचना करता है तो वह स्थिति मंथन करने की होती है। यह सोचने की जरूरत होती है कि…
आदतें तब बनती हैं, जब हम कोई काम इतनी बार करते हैं कि वह सहज हो जाता है। आदत की…
मावलंकर का जन्म 27 नवंबर, 1888 को वर्तमान गुजरात राज्य के बड़ौदा नगर में हुआ था। उनका परिवार तत्कालीन बंबई…
विद्यार्थी जीवन में उन्होंने प्रकाशिकी और ध्वनिकी में शुरुआती शोध किए और बाद में इन्हीं दोनों क्षेत्रों में सीवी रमण…
सलीम अली पहले ऐसे भारतीय थे, जिन्होंने पूरे देश में व्यवस्थित रूप से पक्षियों का सर्वेक्षण किया और उनके बारे…
गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के शिष्य सुकुमार रे बंगाल के लोकप्रिय उपन्यासकार, कवि, कहानीकार एवं नाटककार ही नहीं थे, अपने समय…
केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह हिंदूवादी राजनीति से जुड़ा वो चेहरा हैं जिन्हें सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के…
कट्टर गांधीवादी, मातंगिनी हाजरा उन हजारों महिलाओं में शामिल थीं, जो महात्मा गांधी के आह्वान पर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल…
हांसदा का पूरा जोर आदिवासी आबादी को शिक्षित करने, उन्हें रोजगार से जोड़ने और उनकी संस्कृति को संरक्षित करने के…
धार्मिक प्रवृत्तियों से परिपूर्ण पांडुरंग के परिवार में विद्वत्ता की परंपरा थी और उसी को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने भी…