
कई बार दुख आता है, लेकिन अगर हम उसे उसकी प्रकृति का हिस्सा मान कर अपने ऊपर से गुजर जाने…
एकल परिवार की अवधारणा ने एकल संतान तक ही सीमित रहने की मनोवृत्ति विकसित की है। इसका परिणाम यह है…
एक समय था जब राहगीर और मजदूर अपना पसीना सुखाने तथा थके हुए पैरों को आराम देने के लिए जीवनदायी…
समेटने की प्रवृत्ति प्रकृति के भीतर भी देखने को भरपूर मिलती है। एक ओर वह विस्तार भी कर रही होती…
शिक्षा का औपचारिक ढांचा तभी सार्थक है, जब वह हमें डिग्री के साथ-साथ ज्ञान और विवेक भी प्रदान करता है।…
खुशी कोई बाहरी चीज नहीं, वह हमारे भीतर ही मौजूद होती है। मगर हम उसे बाहर तलाशते रहते हैं, दूसरों…
प्रेम के जिस अहसास को शब्द और भाषा कहने में असमर्थ होते हैं, उसे एक स्पर्श से बयां किया जा…
आज प्रकृति खतरे में है, इसके लिए हम सभी कठघरे में हैं। पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति की ओर लौटने की…
उम्मीदें टूट रही हैं। मन में गांठें पड़ रही हैं। रिश्तों में मनमुटाव का ऐसा असर हो रहा है कि…
यह बेवजह नहीं है कि पारंपरिक भोजन और भोजन शैली की जगह अब तेजी से सिकुड़ती जा रही है। लोगों…
जीवन जीने के लिए करोड़ों की संपत्ति नहीं, बल्कि रिश्तों में आपसी सद्भाव, प्रेम, विश्वास और एक-दूसरे के प्रति सम्मान…
सुख-दुख अतिथि हैं, बारी-बारी आएंगे, चले जाएंगे। अगर वे नहीं आएंगे तो हम अनुभव कहां से लाएंगे। कटु सत्य है…