
बाजार चमक रहे हैं, प्रचार हमें अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। अब त्योहारों का मतलब मिलना-जुलना कम और दिखना-दिखाना…
मुंबई में कौन-सा समय ‘ऑफिस टाइम’ नहीं होता, कहना कठिन है। फिर भी, तथाकथित ‘ऑफिस टाइम’ में बरसात का रौद्र…
इस पगडंडी का रास्ता कूड़े के उपलों को नकारने में नहीं, बल्कि उसकी जगह मन-भावन कलई करके स्वच्छ भारत सिद्ध…
मेरे यह अति भावुक मित्र हों या आप और हम, भावुकता के वशीभूत ऐसी गलतियां प्राय: करते रहते हैं। कोई…
मासूम जीवों की जान लेना कोई बहादुरी तो नहीं है। जब यह आत्मबोध आया, तब मैंने गुलेल से तौबा कर…
जिस देश की शिक्षा-व्यवस्था बहुसंख्यकों के धार्मिक प्रतीकों को ढोते-ढोते हांंफ गई हो, वहांं लड़कियों को हिजाब के विरोध से…
कोई बड़ा होकर कैसा इंसान और नागरिक बनेगा, इसकी नींव बचपन में ही रखी जाती है। कहते हैं कि बच्चे…
पहले शहरों में डीएम, एसपी और जज के बंगले भी बिना पते के ही लोग जानते थे। कोई भी बता…
प्राचीन काल से विभिन्न संस्कृतियां अपनी समृद्धि के स्तर पर नदियों के कारण पहुंची। हम सब नक्शे पर नजर घुमा…
पिताजी किस तरह से बड़े परिवार को पाल लेते, इस बीच कई बार दुश्वारियां भी आतीं, पर वे हिम्मत नहीं…
एक महिला बहुत-सी भूमिका एक साथ निभाती है- दादी, मां, बेटी, बहन, बुआ, बहू, सास, भाभी आदि के रूप में।…
अपनी पुस्तक ‘शिक्षा में क्रांति’ में ओशो कहते हैं कि जिस दिन शिक्षक और विद्यार्थी के ज्ञान में अंतर एवरेस्ट…