human sensitivity, dying compassion, power of words
दुनिया मेरे आगे: अब ‘हत्या’ सुनकर दिल नहीं कांपता, हृदय विदारक शब्द अब सामान्य लगने लगे हैं — यही सबसे बड़ा खतरा है

जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें मोहम्मद जुबैर के विचार।

Dunia mere aage, consumerism, urbanization, artificial intelligence
दुनिया मेरे आगे: बाजार से पूछ रहा इंसान – खुशियों का कौन-सा है ब्रांड? त्योहार, रिश्ते और मशीन का हुआ बाजारीकरण

बाजार चमक रहे हैं, प्रचार हमें अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। अब त्योहारों का मतलब मिलना-जुलना कम और दिखना-दिखाना…

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