प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने घंटों तक चर्चा करने के बाद केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किए जाने वाले 19 सांसदों का चयन किया था। सूत्रों ने बताया कि नाम फाइनल करने से पहले काफी लंबी प्रक्रिया अपनाई गर्इ। इस दौरान यह तय किया गया है कि ऐसे नेताओं को चुना जाए जिससे कि बार-बार होने वाले बदलावों से बचा जा सके। इसी के चलते सूची पर गहराई से चिंतन किया गया। इस पर भी विचार हुआ कि इन नेताओं को मंत्रिमंडल में लाने पर कैबिनेट पर कैसा असर पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि मंत्रिमंडल के विस्तार में बजट की सोच और प्राथमिकताएं दिखेंगी।
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सूत्रों ने बताया कि नए मंत्रियों का चयन उनकी पेशेवराना काबिलियत, केंद्र और राज्य में अनुभव और युवाओं को लुभाने की काबिलियत के तहत किया गया। इनके चयन से प्रधानमंत्री की विकास को महत्व देने की सोच भी प्रदर्शित होती है। नए मंत्रियों ने बताया कि सरकार की प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की जिम्मेदारी उन्हें दी जाएगी। प्रधानमंत्री ने चयन प्रक्रिया के दौरान कहा था कि काबिल और काम करने वाले नेताओं को आगे लाया जाना चाहिए ताकि विकास और गुड गवर्नेंस पर काम किया जा सके। साथ ही केंद्र सरकार की गांव, गरीब और किसान की नीति को आगे बढ़ाया जा सके।
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नए मंत्रियों में पेशेवर कुशलता का मिश्रण साफ झलकता है। पीपी चौधरी जहां सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं और उनके पास 40 साल का संवैधानिक मामलों का अनुभव है। सुभाष राम राव भामरे कैंसर सर्जरी के मशहूर डॉक्टर हैं। अर्जुन राम मेघवाल राजस्थान के पूर्व नौकरशाह हैं। अनिल माधव दवे जाने माने लेखक और पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। एमजे अकबर वरिष्ठ पत्रकार हैं। अनुप्रिया पटेल और मनसुख मंडाविया के रूप में युवा चेहरों को जगह दी गई है तो फग्गन सिंह कुलस्ते और विजय गोयल पहले भी केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। पुरुषोत्तम रुपाला, जसवंत सिंह भभोर, महेंद्र नाथ पांडे ओर रमेश चंदपा राज्य की राजनीति के खिलाड़ी हैं। अजय टमटा, रामदास अठावले और कृष्णा राज दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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मंत्रियों का प्रदर्शन जानने के लिए पीएम मोदी ने लगभग पांच घंटे तक सभी मंत्रालयों के मंत्रियों से बातचीत भी की थी। इसमें सबके काम को देखा गया था और सबसे रिपोर्ट भी ली गई थी। बजट में उनके मंत्रालय को दिया गया पैसा उन लोगों ने कैसे इस्तेमाल किया, इस बारे में भी पूछा गया था। पीएम की इस मीटिंग से साफ हो गया था कि उन्हें ऐसे मंत्री चाहिए जो काम के प्रति जोश से भरे हों।
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