15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो हर तरफ खुशी की लहर थी। लोग नाच-गा रहे थे। जश्न मना रहे थे। लेकिन सरकार के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती मुंह बाए खड़ी थी, वो थी देशी रिसायतों के भारत में विलय की। आजाद भारत के पहले गृहमंत्री के नाते छोटी-बड़ी कुल 565 रियासतों के भारत में विलय का जिम्मा सरदार वल्लभभाई पटेल के कंधों पर आया। सरदार पटेल अपने सचिव वीपी मेनन के साथ इस काम में जुट गए।

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नवाब ने भारत में विलय से कर दिया इनकार: वीपी मेनन एक तेज-तर्रार और कड़क अफसर माने जाते थे। प्रक्रिया शुरू हुई तो ज्यादातर रियासतों ने थोड़ी हीला-हवाली के बाद भारत में विलय की बात स्वीकार कर ली। लेकिन तीन रियासतों के प्रमुख अड़ गए। विख्यात इतिहासकार रामचंद्र गुहा के मुताबिक कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ ऐसी रियासतें थीं, जिनके प्रमुख बेहद अड़ियल किस्म के इंसान थे। जूनागढ़ के नवाब मोहम्मद महाबत खानजी तृतीय ने तो भारत में विलय से साफ इनकार कर दिया।

कुत्ते पालने का शौकीन था नवाब: जूनागढ़ का नवाब महाबत खान कुत्ते पालने का शौकीन था। उसके पसंदीदा कुत्ते जहां रखे जाते थे, वहां बाकायदे बिजली और फोन की सुविधा थी। साथ ही 24 घंटे नौकर भी मौजूद रहते। अगर कोई कुत्ता मर जाता तो उसको तमाम रश्मों-रिवाज के साथ कब्रिस्तान में दफनाया जाता। शव यात्रा के साथ शोक संगीत बजता और खास संगमरमर के पत्थरों का मकबरा बनवाया जाता।

पसंदीदा कुत्ते की शादी में 1.5 लाख मेहमानों को दी दावत: विख्यात इतिहासकार डॉमिनिक लॉपियर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में भी महाबत खान के इस शौक का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि एक बार महाबत खान ने धूमधाम से एक कुत्ते की शादी की। इस शादी का न्योता भारत के तमाम राजा-महाराजाओं और अमीरों को भेजा गया। न्योता वायसराय को भी भेजा गया, लेकिन उन्होंने आने से इनकार कर दिया। लॉपियर और कॉलिन्स के मुताबिक इस शादी में कुल डेढ़ लाख मेहमान शामिल हुए।

उस दौर में खर्च किये 9 लाख रुपये: इतिहासकारों के मुताबिक जूनागढ़ के नवाब महाबत खान ने अपने पसंदीदा कुत्ते की शादी में उस दौर में 9 लाख रुपये खर्च किये, जो भारी-भरकम रमक थी। इन पैसों से जूनागढ़ की तत्कालीन 6,20,000 आबादी में से करीब 12,000 लोगों की साल भर की सभी जरूरतें पूरी की जा सकती थीं। बहरहाल, बाद में जूनागढ़ में जनमत संग्रह हुआ और वहां के लोगों ने भारत के साथ रहना मंजूर किया। बाद में महाबत खान पाकिस्तान भाग गए।