वाहन इंश्योरेंस दोपहिया वाहनों के साथ ही चार पहिया वाहन के लिए कराना जरूरी माना जाता है, क्योंकि अगर आपके गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाए तो वाहन बीमा कवर न होने पर आपको पूरे वाहन का खर्च उठाना पड़ेगा। वहीं नए मोटर व्हीकल कानून के तहत गाड़ी का बीमा कराना जरूरी है नहीं तो आपको भारतीय सड़कों पर गाड़ी चलाने के लिए दो हजार रुपए जुर्माना या तीन साल की सजा हो सकती है।
सभी गाड़ियों के लिए अलग-अलग तरह का मोटर बीमा दिया जाता है। टू-व्हीलर मोटर बीमा के अलग नियम हैं तो वहीं चार पहिया मोटर बीमा के अलग नियम लागू होते हैं। दो तरह का मोटर बीमा होता है, पहला थर्ड पार्टी बीमा है। इसमें ऑटोमोबाइल बीमा थर्ड-पार्टी देनदारियों को कवर करता है। आपके बीमाकृत वाहन के कारण किसी तीसरे पक्ष या उनकी संपत्ति को हुए किसी भी अनजाने में हुए नुकसान का खर्च थर्ड पार्टी बीमा के साथ कवर किया जा सकता है। वहीं दूसरा कम्प्रेहन्सिव मोटर बीमा के तहत दुर्घटना के कारण चालक, मालिक और यात्रियों की मृत्यु या विकलांगता पर बीमा लाभ मिलता है।
मोटर वाहन लेने के फायदे
दुर्घटना, दंगे, चोरी, आतंकवाद, प्राकृतिक आपदा और मानव निर्मित आपदाओं जैसे आग, विस्फोट, बाढ़, तूफान, भूकंप के कारण वाहन को नुकसान पर मुवाअजा दिया जाता है। वहीं थर्ड पार्टी की कानूनी लाइबिलिटी के तहत संपत्ति को किसी भी नुकसान के साथ, आकस्मिक मृत्यु और थर्ड पार्टी को चोट को भी कवर करेगी। वहीं व्यक्तिगत दुर्घटना कवरेज के तहत बीमा कंपनी चालक को चोट लगने पर इलाज का पूरा खर्च उठाती है।
मोटर बीमा खरीदने के लिए दस्तावेज
मोटर बीमा कवर लेने के लिए लोगों के पास पासपोर्ट साइज़ फोटो, ड्राइविंग लाइसेंस या पैन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र और कार की आरसी होनी चाहिए।
कितनी तक बीमा पर कर सकतें हैं बचत
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण ने बीमाकर्ताओं को पे-एज़-यू-ड्राइव मोटर बीमा पॉलिसी लॉन्च करने की अनुमति दी है। यह योजना खरीदारों को अपनी कारों के लिए माइलेज सीमा निर्धारित करने और सामान्य प्रीमियम पर छूट की पेशकश करने की अनुमति देती है। इसमें वाहन की गुणवत्ता, सीमित लाभ और अन्य फीचर्स दिए जाते हैं, जिसके तहत अधिक से अधिक लाभ दिया जा सकता है। बता दें कि एक बीमा कंपनी 7,500 किमी, 5,000 किमी और 2,500 किमी के तीन स्लैब प्रदान करती है। इससे उन ग्राहकों को लाभ होगा जिनका वाहन उपयोग कम है।