केंद्र सरकार ने कहा है कि स्टारलिंक इंटरनेट सर्विसेज के पास भारत में उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवाएं देने का लाइसेंस नहीं है। यह बात साफ करते हुए शुक्रवार (26 नवंबर, 2021) को सरकार ने लोगों को विज्ञापनों में दिखाई जा रही ऐलन मस्क की कंपनी की सेवाओं की सदस्यता लेने को लेकर आगाह किया।

दूरसंचार विभाग ने स्टारलिंक को उपग्रह आधारित संचार सेवाओं की पेशकश के लिए नियामक ढांचे का पालन करने और भारत में उपग्रह इंटरनेट सेवाओं की बुकिंग या सेवाएं प्रदान करने पर “तत्काल प्रभाव से” रोक लगाने को कहा।

विभाग ने एक बयान में कहा कि यह पता चला है कि स्टारलिंक ने भारत में उपग्रह आधारित स्टारलिंक इंटरनेट सेवाओं की पूर्व बिक्री/बुकिंग शुरू कर दी है। डिपार्टमेंट के मुताबिक, स्टारलिंक की वेबसाइट से भी यही स्पष्ट होता है। वेबसाइट के जरिए, भारत में उपयोगकर्ता, कंपनी की उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवाएं बुक कर सकते हैं।

स्टारलिंक इंटरनेट सर्विसेज, अरबपति मस्क की स्पेसएक्स एयरोस्पेस कंपनी का एक डिविजन (विभाग) है। स्टारलिंक ने भारत में अपना कारोबार एक नवंबर को रजिस्टर कराया था। इसने विज्ञापन देना शुरू कर दिया है, और सरकार के अनुसार, इसने अपनी सेवा को प्री-सेल करना शुरू कर दिया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने जब ई-मेल पर इस पूरे मसले के बारे में स्टारलिंक से संपर्क किया, तो जवाब आया, “अभी के लिए कोई टिप्पणी नहीं”।

इससे पहले, भारत में स्टारलिंक के कंट्री डायरेक्टर संजय भार्गव ने भारत में सैटेलाइट सेवाओं को लॉन्च करने की कंपनी की योजना का खुलासा किया था। उन्होंने घोषणा की थी कि स्पेस-एक्स की अब भारत में 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और यह लाइसेंस के लिए आवेदन करना शुरू कर सकती है। साथ ही भारत में बैंक खाते खोल सकती है।

उन्होंने यह भी बताया था कि कंपनी को भारत में पहले ही 5,000 प्री-ऑर्डर मिल चुके हैं। लेकिन उन्हें प्रोसेस नहीं किया जा सकता है क्योंकि कंपनी ने भारत में संचालन करने के लिए भारत सरकार से लाइसेंस नहीं मांगा है। स्टारलिंक ने ग्राहकों से प्राथमिकता सूची का हिस्सा बनने के लिए 99 डॉलर या 7,350 रुपए की जमा राशि का शुल्क लिया था। अगर सेवाएं सक्रिय हैं, तो राशि मासिक शुल्क के विरुद्ध समायोजित की जाएगी।

भार्गव ने साझा किया था कि स्टारलिंक उन ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों के साथ काम करेगा जो 100 प्रतिशत ब्रॉडबैंड के इच्छुक हैं। कंपनी की योजना टेरेस्ट्रियल ब्रॉडबैंड द्वारा सेवाएं प्रदान करने की है, लेकिन जिन क्षेत्रों तक पहुंचना मुश्किल है, उन्हें स्टारलिंक जैसे सैटकॉम प्रदाताओं द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।

बता दें कि दुनिया भर में लो लेटेंसी (कम-विलंबता) ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं देने के लिए विश्व भर में कंपनियों की बढ़ती संख्या पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले नेटवर्क के हिस्से के रूप में छोटे उपग्रहों को लॉन्च कर रही है। खासकर दूरदराज के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ जहां स्थलीय इंटरनेट बुनियादी ढांचे तक पहुंचने के लिए संघर्ष किया जाता है। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)