इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से पहले निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सभी जानकारियां जुटाने के बाद ही अपनी मेहनत की मोटी गाढ़ी कमाई को खर्च करें। अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि निवेशक ज्यादा जानकारियां नहीं जुटाते जिसके बाद उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि लोग इंश्योरेंस की टेक्नीकल टर्मनॉलजी को समझने में मुश्किल का सामना करते हैं।

इंश्योरेंस मार्केट में ऐसे ही दो शब्द हैं जो बिल्कुल मिलते-जुलते हैं पर दोनों अपने आप में बेहद ही अलग हैं। हम बात कर रहे हैं ‘सम एश्योर्ड’ और ‘सम एंश्योर्ड’ की। अगर आप पॉलिसी लेने की सोच रहे हैं तो इन दोनों के बीच के अंतर को जानना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

सबसे पहले बात करते हैं सम एश्योर्ड की तो यह बीमाकृत नुकसान की क्षतिपूर्ति से जुड़ा है। यह पहले से तय लाभ होता है जो कि पॉलिसीधारक और इंश्योरेंस कंपनी के बीच तय होता है। पॉलिसी लेते वक्त पॉलिसीधारक को सम एश्योर्ड की राशि को चुनना होता है। यह इंश्योरेंस कवर वैल्यू है। इसे कवर या कवरेज राशि के नाम से भी जाना जाता है। यह एक तरह से गारंटीशुदा राशि होती है जो पॉलिसीधारक को मिलती है

वहीं दूसरी तरफ सम इंश्योर्ड क्षतिपूर्ति के सिद्धांत पर काम करती है। इसका सीधा मतलब क्षतिपूर्ति या हर्जाने से है। इंश्योरेंस लेने वाले के चोटिल होने या बीमार होने या उसकी किसी संपत्ति मसलन वाहन, प्रॉपर्टी, महंगा सामान आदि को नुकसान हो जाने या फिर चोरी होने की स्थिति में इसका फायदा हर्जाने के तौर पर दिया जाता है।