Aadhar Card KYC RBI Guidlines: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक खातों की केवाईसी (KYC) को लेकर आधार कार्ड के संबंध में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके तहत बैंक अब नॉन DBT अकाउंट्स होल्डर के आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी को स्टोर नहीं रख सकते हैं।

केवाईसी के संशोधित नियमों के अनुसार बैंक अब आधार ऑथेंटिकेशन कर सकेंगे। ये ऑफलाइन वेरिफिकेशन, या उन लोगों के लिए होगा जो इस विकल्प का चुनाव करते हैं। इसमें ग्राहक की सहमति के बाद ही ऑफलाइन केवाईसी को जोड़ा गया है। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं लेने वाले कस्टमर के लिए इलेक्ट्रॉनिक केवाईसी पर रोक लगा दी थी।

आरबीआई की तरफ से यह कदम केंद्र सरकार की तरफ से 28 फरवरी को पारित अध्यादेश के बाद आया है। इस अध्यादेश में यह स्पष्ट रूप से बताया गया था कि कैसे आधार नंबर को पहचान के दस्तावेज के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। ऑथेंटिकेशन की डिटेल के बारे में बताते हुए आरबीआई कहता है कि जो कस्टमर सरकार की तरफ से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) या सब्सिडी का लाभ नहीं लेते हैं, बैंक उनका आधार नंबर अपने पास नहीं रख सकता है।

यदि बैंक के पास यह पहले से ही है तो उससे संबंधित बदलाव नहीं कर सकता है। इसमें आगे बिजनेस कॉरपोंडेंट्स, बिजनेस फेसिलिटेटर्स और बैंक अधिकारियों को कस्टमर्स की केवाईसी करने की अनुमति दी गई है।

ई-केवाईसी के जरिये प्रोविजनल रूप अकाउंट खोलने का रास्ता साफ करते हुए आरबीआई का कहना है कि जो खाते आधार के जरिये ओटीपी ऑथेंटिकेशन के जरिये पर खोले जा रहे हैं उसमें एक साल के भीतर फेस-टू-फेस वेरिफिकेशन होना अनिवार्य है। ऐसे खातों में राशि एक लाख रुपये तक हो सकती हैं।

एक स्टडी में सामने आया था कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय और सरकार की तरफ से अध्यादेश के बाद आरबीआई ने केवाईसी दिशानिर्देश को लेकर स्थिति साफ की है। कुछ सप्ताह पहले ही वित्त मंत्रालय ने मोबाइल वॉलेट और स्टॉक ब्रोकर जैसे नॉन बैंकिंग इकाइयों के लिए आधार से जुड़ी प्रक्रिया पेश की थी।