देश के हाई स्‍पीड ट्रेन वंदे भारत ट्रेन के संचालन को लेकर केंद्र की ओर से कहा गया था कि अगले तीन वर्षों में 400 वंदे भारत एक्‍सप्रेस ट्रेन चलाई जाएंगी, लेकिन अभी तक सिर्फ 2 ट्रेन ही संचालित हो पाई है। पहली वंदे भारत एक्सप्रेस, दिल्ली से वाराणसी के लिए भारत की पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन को 15 फरवरी, 2019 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हरी झंडी दिखाई थी।

रेल मंत्रालय की ओर से एक बार फिर यह घोषणा की गई है कि अगले साल 15 अगस्‍त से 75 वंदे भारत ट्रेन देश के अलग-अलग रूटों पर चलाई जाएंगी। नई वंदे भारत ट्रेन के ट्रायल में 180 किलोमीटर की रफ्तार मिला है। ऐसे में उम्‍मीद की जा रही है कि अगर अलग-अलग रूटों पर यह ट्रेनें चलाई जाती है तो लोग जल्‍द ही अपने सफर को पूरा कर सकेंगे और उन्‍हें यात्रा का एक नया अनुभव मिलेगा।

गौरतलब है कि केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के कुछ हफ्ते पहले चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में बनने वाली वंदे भारत ट्रेनों के जांच में सब कुछ ठीक होने के बाद, उन्होंने हाई स्‍पीड ट्रेनों को लखनऊ में रेलवे, अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) के आर एंड डी विंग को सौंप दिया। अब आरडीएसओ ट्रेनों की जांच करेगा और पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ट्रेनों को चलाने का मार्ग प्रशस्त करते हुए सुरक्षा मंजूरी देगा।

भारतीय रेलवे का टारगेट साल 15 अगस्त तक 75 नई वंदे भारत ट्रेनें चलाने का है। इसलिए रेलवे के लक्ष्य के रूप में इन ट्रेनों के निर्माण में तेजी लाई गई है यानी हर महीने सात से आठ ट्रेनें तैयार हों। लेकिन अभी तक केवल 2 ट्रेनें ही संचालित है, ऐसे में रफ्तार को देखकर लग रहा है कि ट्रेनों के चलने में देरी हो सकती है।

वहीं रेलवे की ओर से तीन साल में 400 ट्रेनों को चलाने के दौरान दावा किया गया था कि वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के निर्माण में लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा। यह भी दावा किया गया था कि ये ट्रेनें पूरे देश में चलेंगी लेकिन हकीकत कुछ और है। इसमें एक लोकोमोटिव इंजन है। एक बार 2022 के बजट भाषण पर भी गौर करें तो कहा गया था कि अगस्त-सितंबर से काम तेज गति से किया जाएगा और हर महीने सात से आठ वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जाएंगी।

लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर हर महीने सात से आठ वंदे भारत ट्रेनें चलाई जाएंगी तो तीन साल में 400 ट्रेनों को पटरी पर कैसे लाया जाएगा? आईएएनएस ने इन सवालों को लेकर रेलवे अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन विभाग की ओर से कोई जानकारी नहीं मिली है।