Aadhaar will help in driving license and RC renewal: ड्राइविंग लाइसेंस बनाना एक जटिल प्रक्रिया माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि परमानेंट लाइसेंस बनाने से पहले लर्निंग लाइसेंस बनता है। इसकी वैलिडिटी 6 महीने होती है। लर्निंग लाइसेंस मिलने के बाद 30 दिनों के बाद परमानेंट लाइसेंस के लिए अप्लाई किया जाता है। टेस्ट देकर लाइसेंस हासिल कर लिया जाता है।
लाइसेंस बनवाने के लिए एक आवेदनकर्ता को कई पक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। इसके साथ ही अलग-अलग डाक्यूमेंट भी आवेदन फॉर्म के साथ देने पड़ते हैं। ऐसे में परेशानी और बढ़ जाती है। लेकिन अब 1 अक्टूबर से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आपको ज्यादा डॉक्यूमेंट्स की जरूरत नहीं पड़ेगी।
मोदी सरकार ने लाइसेंस बनाने से जुड़े नियमों में ढील दी है। नए नोटिफिकेशन के मुताबिक अब आधार कार्ड का इस्तेमाल ऑनलाइन ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने, लाइसेंस रिन्यू, वाहन रजिस्ट्रेशन और इनसे जुड़े दस्तावेज में पता बदलने के लिए हो सकेगा।
सरकार ने कहा कि एक सूचना प्रौद्योगिकी पोर्टल के माध्यम से 1 अक्टूबर से डीएल और ई-चालान सहित वाहन से जुड़े तमाम दस्तावेजों की मॉनिटरिंग की जाएगी।
यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे ने सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स 1989 में कुछ संशोधन किए हैं। यह संशोधन लोगों की परेशानी और ट्रैफिक पुलिस की तरफ से परेशान करने के मामलों पर रोक लागने के मकसद से किए गए हैं।
इसके तहत अब गाड़ी चलाते समय साथ में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और लाइसेंस जैसे ऑरिजनल दस्तावेज रखने की टेंशन से भी मुक्ति मिलने जा रही है। अब आप वाहन से जुड़े इन डॉक्युमेंट्स की सिर्फ वैलिड सॉफ्ट कॉपी लेकर भी गाड़ी चला सकते हैं।