राष्ट्रीय रोजगार नीति के तहत 5 करोड़ लोगों को रोजगार देने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। कोविड-19 महामारी के चलते अपने गृह राज्ये पहुंचे लोगों को को इसके जरिए फायदा पहुंचाने की कोशिश की जाएगी। सरकार ने इसके लिए फॉस्ट ट्रेक मोड में काम शुरू कर दिया है। दरअसल, सरकार ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोतके नेतृत्व में मंत्रियों का समूह बनाया है।

इस समूह से कहा गया है कि वे कोविड 19 महामारी के चलते पैदा हुए बेरोजगार संकट के लिए कुछ सुझाव दें। वहीं श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने अधिकारियों से महामारी से उत्पन्न चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए रोजगार नीति को नए सिरे से देखने को कहा है। राष्ट्रीय रोजगार नीति पर चल रहे काम को लेकर एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, यह हमारी प्राथमिकता है और हम जल्द ही इस नीति को लागू करेंगे।

क्या है राष्ट्रीय रोजगार नीति? दरअसल राष्ट्रीय रोजगार नीति 2008 में यूपीए सरकार के तहत बनी थी। लेकिन अबतक की लेट लतीफी के कारण इसपर विशेष रूप से काम नहीं हो सका और न ही इसमें शामिल सुझावों को जमीनी स्तर पर लागू किया गया। इसके तहत लिंग, जाति और पारिस्थितिक आधार पर रोजगार के अवसरों को आगे बढ़ाने पर काम किया जा सकता है। इसके तहत रोजगार बढ़ाने के लिए माकूल माहौल तैयार करने और कामगारों का कौशल बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।

वहीं सरकार ने प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के मकसद से गरीब कल्याण रोजगार अभियान लॉन्च करने का फैसला लिया है। 125 दिनों तक चलते वाले इस अभियान को देश के 6 राज्यों के 116 जिलों में चलाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जून को बिहार से इसे लॉन्च करेंगे।