दिल्ली से गाजियाबाद और मेरठ के बीच चलने वाली नमो भारत ट्रेन में यात्रा करने वालों के लिए अब सफर अब और भी बेहतर होने वाला है। ट्रेन से उतरने के बाद अब यात्रियों को स्टेशन पर ओला, उबर, टैक्सी या ऑटो से घर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (NCRTC) ने नमो भारत ट्रेन के यात्रियों के लिए लास्ट माइल कनेक्टिविटी देने के लिए एसी ई-बसें चलाने का फैसला किया है। इसका मतलब ये है कि नमो भारत स्टेशन के बाहर निकलते ही एसी बसें यात्रियों की प्रतीक्षा में खड़ी रहेंगी। ये बसें यात्रियों को कम किराए में ही उनकी मंजिल तक पहुंचाएगी।

वर्तमान समय में नमो भारत ट्रेन दिल्ली के न्यू अशोक नगर से गाजियाबाद होते हुए मेरठ के साउथ मेरठ तक चल रही है। 82 किलोमीटर लंबे इस रूट में फिलहाल 55 किलोमीटर सेक्शन पर ही अभी नमो भारत चल रही है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 के अंत तक 82 किमी लंबे रूट पर नमो भारत ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।

सराय काले खां रूट पर चल रहा है ट्रायल

दिल्ली के सराय काले खां तक शुरू होने के बाद नमो भारत का संचालन और नेटवर्क मजबूत होगा। अभी न्यू अशोक नगर और सराय काले खां के बीच ट्रेन का ट्रायल चल रहा है। नमो भारत ट्रेन के इन तीन महत्वपूर्ण रूट के लिए एसी बसें तय कर दी गई हैं। आनंद विहार ISBT से अशोक नगर बॉर्डर, न्यू अशोक नगर से आनंद विहार ISBT और अशोक नगर से मयूर विहार फेज-3 पेपर मार्केट। इन रूटों पर बसें सुबह 6:30 बजे से रात के 11 बजे तक चलेंगी।

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NCRTC के अधिकारियों ने बताया कि इस सुविधा से यात्रियों को रैपिड रेल से उतरने पर ई-बसें मिलेंगी। इससे न केवल गाजियाबाद और मेरठ का यात्रा में तेजी आएगी बल्कि यात्रियों के लिए राह और भी आरामदायक हो जाएगी। दिल्ली सरकार की नई शुरुआत दिल्ली इलेक्ट्रिक व्हीकल इंटरचेंज (देवी) योजना के तहत इस पहल को शुरू किया गया है।

पर्यावरण को स्वच्छ और बेहतर बनाने का उद्देश्य

इससे पहले भी NCRTC कई स्टेशनों पर ई-रिक्शा और रैपिडो जैसी सुविधाएं शुरू कर चुका है। इसी कड़ी में अब इलेक्ट्रिक सिटी बसें शुरू की गई हैं। NCRTC की मानें तो इस पहल का उद्देश्य यात्रियों को केवल सुविधा प्रदान करने से ही नहीं है बल्कि पर्यावरण को स्वच्छ और बेहतर बनाने की है। इलेक्ट्रिक बसों और ई-रिक्शों जैसी सेवाओं से प्रदूषण कम होगा और साथ ही लोग निजी वाहनों की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट को अपनाना चाहेंगे। इसका मतलब है कि अगली बार जब आप रैपिड रेल से यात्रा करें तो उसके बाद ई-बस ही पकड़ें।