केंद्र सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में अपनी हिस्सेदारी कम से कम 2 साल तक कम नहीं करने वाली है। क्‍योंकि अभी आने वाले समय में एलआईसी का आईपीओ आने वाला है। स्‍टॉक एक्‍सचेंज पर एलआईसी की लिस्‍टिंग होने वाली है। ऐसे में अगर सरकार अपनी हिस्‍सेदारी घटाती है तो आईपीओ में निवेश करने वाले निवेशकों का रिटर्न प्रभा‍वित हो सकता है।

संभावित निवेशकों के बीच सरकार की ओर से यह रुख जाहिर किया गया है। क्‍योंकि कई संभावित निवेशकों ने सरकार से जानकारी मांगी थी कि न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी के नियमों का पालन करते हुए बीमा कंपनी में सरकारी हिस्‍सेदारी घटने पर क्‍या प्‍लान होगा।

ऐसे में सरकार ने साफ करते हुए कहा कि वह एलआईसी के शेयरों पर किसी भी तरह के दबाव से बचने के लिए कम से कम दो साल के लिए बीमाकर्ता में किसी भी इक्विटी कमजोर पड़ने पर विचार नहीं करेगा। निवेशकों को सूचित किया गया कि बीमाकर्ता के पास अगले दो वर्षों के लिए पर्याप्त पूंजी है।

हालांकि सरकार एलआईसी के आईपीओ में 5 फीसदी से कुछ ज्यादा हिस्सेदारी पर विचार कर सकती है। लेकिन 5 फीसदी सरकारी हिस्सेदारी होने पर भी एलआईसी का आईपीओ भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। लिस्‍ट होने के बाद एलआईसी का बाजार मूल्यांकन रिलायंस इंडिया लिमिटेड (आरआईएल) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) जैसी शीर्ष कंपनियों के बराबर होगा।

बता दें कि सरकार के पास भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास नए कागजात दाखिल किए बिना एलआईसी का आईपीओ लॉन्च करने के लिए 12 मई तक का समय है।