आधार कार्ड (Aadhaar Card) को वोटर लिस्ट (Voter List) से जोड़ना अनिवार्य नहीं है। यह स्वैच्छिक है। यह बात सोमवार (20 दिसंबर, 2021) को केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने लोकसभा में चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद साफ की। उन्होंने कहा, “चुनाव सुधार की दृष्टि से ये बहुत ही महत्वपूर्ण बिल है। अभी की प्रणाली में अगर दो जनवरी तक आपका नाम सूची में नहीं आया तो आपको एक साल इंतजार करना पड़ता था। अब इसके लिए साल में चार बार विंडो खुलेगी।”

बकौल रिजिजू, “आधार कार्ड को वोटर लिस्ट के साथ जोड़ना अनिवार्य नहीं है। ये स्वैच्छिक है। ये वैकल्पिक है। इससे एड्रेस पता करने में मदद होगी, फर्ज़ी वोटिंग को रोकने में मदद होगी।” वह आगे बोले- अधिनियम (1951 के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) में “पत्नी” शब्द को बदलकर स्पाउस(जीवनसाथी) किया है। चुनाव परिसर अधिग्रहण की सीमा का विस्तार करने के दायरे को बढ़ाया है।

दरअसल, विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच लोकसभा ने सोमवार को निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। इसमें मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता पहचान कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। इस विधेयक के माध्यम से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन किए जाने की बात कही गयी है।

निचले सदन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एआईएमआईएम, आरएसपी, बसपा जैसे दलों ने इस विधेयक को पेश किये जाने का विरोध किया। कांग्रेस ने विधेयक को विचार के लिये संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग की थी। विपक्षी दलों ने इसे उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ तथा संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों एवं निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला बताया।

बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले बुधवार को चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक के मसौदे को अपनी मंजूरी दी थी। इस विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। (एएनआई और पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)