इंडियन रेलवे जल्द ही 151 नई प्राइवेट ट्रेनों को पटरी पर दौड़ाने की तैयारी में है। इस प्रोजेक्ट के लिए रेलवे ने प्राइवेट कंपनियों से पार्टनरशिप के लिए आवेदन मंगाए हैं। रेलवे के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में प्राइवेट कंपनियों का लगभग 30,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। पैसेंजर ट्रेनों के प्राइवेटाइजेशन की दिशा में रेलवे का यह बड़ा कदम है।
रेलवे के मुताबिक हर ट्रेन कम से कम 16 डिब्बे की होगी। 109 जोड़ी रूटों पर इनका संचालन किया जाएगा। इन ट्रेनों की अधिकतम स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी। इन ट्रेनों के संचालन के लिए पूरे देश के रेल नेटवर्क को 12 क्लस्टर में बांटा गया है। रेलवे इन ट्रेनों में सिर्फ अपने ड्राइवर और गार्ड तैनात करेगी। अन्य सुविधाएं और काम प्राइवेट कंपनियां ही देखेंगी। मसलन ट्रेनों के रखरखाव की जिम्मेदारी निजी कंपनियों की ही होगी।
इस पहल का उद्देश्य आधुनिक तकनीक को अपनाने, ट्रांजिट टाइम को घटाने, रोजगार को बढ़ावा देने, रोलिंग स्टाक (कोच और इंजन) में नई टेक्नोलोजी आएगी, हाई सिक्योरिटी और इसके साथ ही यात्रियों को विश्व स्तरीय यात्रा का अनुभव प्रदान करना है। इस पूरे प्रोजेक्ट को ‘मेक इन इंडिया’ के तहत आगे बढ़ाया जााएगा। यानी की ट्रेनों का निर्माण देश में ही होगा।
रेलवे के मुताबिक इस प्रोजेक्ट का कंसेसशन पीरियड (अनुबंध) 35 वर्ष का होगा। ये सभी ट्रेनें सेमी हाई स्पीड ट्रेनों की तरह चलेंगी और बेहद ही आधुनिक सुविधाओं से लैस होंगी। रेलवे का इंफ्रास्ट्रकचर इस्तेमाल करने के बदले इन प्राइवेट कंपनियों का अलग से हिस्सा तय होगा और रेलवे का हिस्सा भी तय होगा।

