Cashless vs Reimbursement Claims in Health Insurance: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश करना सभी के लिए फायदेमंद होता है। फायदेमंद इसलिए क्योंकि जब अस्पताल में हमारा ईलाज चल रहा हो और साथ-साथ भारी भरकम बिल बन जाए तो पॉलिसी के जरिए इसे कवर किया जाता है। अलग-अलग कंपनियां ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से पॉलिसी डिजाइन करती है। बाजार में कम कीमत वाली पॉलिसी से लेकर ऊंची कीमत वाली पॉलिसी मौजूद है।

अक्सर हेल्थ पॉलिसी लेते वक्त लोगों के बीच इस बात को लेकर कन्फ्यूजन होता है कि वे कैशलेस पॉलिसी में निवेश करें या रीइंबर्समेंट पॉलिसी में अपना पैसा लगाएं। सबसे पहले बात करें कैशलेस पॉलिसी की तो इसमें रीइंबर्समेंट हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के मुकाबले अस्पताल में भर्ती होने पर दवाओं पर होने वाले को खर्च को बीमा कंपनी उठाती है।

यानी कि पॉलिसीहोल्डर को इलाज के लिए कैश पेमेंट नहीं करना होती और बिलों का सेटलमेंट सीधे हॉस्पिटल और इंश्योरेंस कंपनी के बीच हो जाता है। हालांकि अस्पताल में भर्ती होने से 2 दिन पहले बीमा कंपनी को इसकी सूचना देनी होती है वहीं इमरजेंसी की स्थिति में 24 घंटे का समय मिलता है। पॉलिसी लेते वक्त आपको ध्यान रखना चाहिए की पालिसी के अंदर ज्यादा से ज्यादा हॉस्पिटल आते हों और कैशलेस इलाज की सुविधा देते हों।

वहीं बात करें रीइंबर्समेंट हेल्थ इंश्योरेंस की तो आपको अस्पताल में भर्ती होने पर पहले ही अपने मेडिकल खर्च का पेमेंट करना होता है। फिर अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद रीइंबर्समेंट की प्रक्रिया की जाती है। इसके लिए पॉलिसीधारक को अस्पताल के बिल को भी जमा करना होता है। रीइंबर्समेंट पॉलिसी में क्लेम के लिए ज्यादा समय लगता है। जाहिर इमरजेंसी जैसी परिस्थिति में रीइंबर्समेंट पॉलिसी कभी-कभी पॉलिसीधारक को परेशानी में डाल देती है क्योंकि पैसा न होने के चलते उन्हें किसी और जगह से पैसों का इंतजाम करना पड़ता है।