कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की बैठक अगले महीने होने जा रही है, इस बैठक में इक्विटी यानि शेयर बाजार में निवेश की सीमा को बढ़ाने को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु में 8 और 9 जुलाई को होनी वाली ईपीएफओ की बोर्ड बैठक में इक्विटी में निवेश की सीमा 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी करने के प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है।
मौजूदा समय में ईपीएफओ की ओर से कुल पीएफ (Provident Fund) की रकम का 15 फीसदी तक ही इक्विटी में निवेश किया जाता है। नए प्रस्ताव के मुताबिक इक्विटी में निवेश की सीमा को दो अलग-अलग फेस में बढ़ाया जाएगा। पहले फेस में इसे 20 फीसदी तक बढ़ाया जाएगा और दूसरे फेस में इसकी सीमा 25 फीसदी तक की जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक प्रस्ताव को बोर्ड बैठक में फाइनल करने के बाद अप्रूवल के लिए लेबर मिनिस्ट्री के पास भेजा जाएगा।
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, अगर पीएफ की रकम इक्विटी में निवेश की सीमा को मंत्रालय द्वारा 15 फीसदी से 25 फीसदी तक बढ़ाने की अनुमति मिल जाती है तो शेयर बाजार में हर महीने 3000 करोड़ का अतिरिक्त निवेश देखने को मिल सकता है।
बता दें, इस महीने की शुरुआत में सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ईपीएफ की राशि पर 8.1 फीसदी ब्याज देने को मंजूरी दी थी, जो बीते चार दशकों में सबसे कम है। वहीं, इससे पहले सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 8.5 फीसदी की ब्याज का दिया था।
2019-20 के लिए प्रदान की गई ईपीएफ ब्याज दर 2012-13 के बाद से सबसे कम थी। ईपीएफओ ने कर्मचारियों को 2016-17 में 8.65 फीसदी और 2017-18 में 8.55 फीसदी ब्याज दर मुहैया कराई थी जबकि 2015-16 में 8.8 फीसदी की ब्याज दी गई थी। 2013-14 और 2014-15 में 8.75 फीसदी की ब्याज दर दी गई थी, जो 2012-13 के 8.5 फीसदी से अधिक थी। 2011-12 में ब्याज दर 8.25 फीसदी थी।
कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम 1952 (Employees’ Provident Funds and Miscellaneous Provisions Act, 1952) के तहत यह एक अनिवार्य बचत योजना है। 20 या इससे अधिक कर्मचारियों के साथ काम करने वाली कंपनी के लिए इसे लागू करना कानूनी तौर पर जरुरी होता है।