दिल्ली-देहरादून राजमार्ग अपने लिए खुद बिजली तैयार करेगा। यह देश का पहला उपरगामी मार्ग है, जहां केंद्र सरकार पहली बार सोलर पैनल के माध्यम से सौर ऊर्जा बिजली उत्पादन करने जा रही है। सरकार ने इस योजना को परीक्षण के तौर पर लागू किया है। इस चरण में 18 माह के अंदर सात मेगावाट तक बिजली उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है। केंद्रीय राज्य सड़क एवं परिवहन मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने बताया कि यह परीक्षण सफल होने के बाद इस योजना को देशभर के राजमार्ग पर लागू किए जाने की योजना है।

मंत्रालय के मुताबिक यह उपरिगामी गलियारा पर पहली पहल है। अब तक की योजनाओं में केवल राजमार्ग के किनारे उपलब्ध जमीन के कुछ हिस्से पर ही ऐसे सोलर पैनल लगाए जाते थे, इन पैनल की मदद से कम ही बिजली बनती थी। नए चरण में सौर ऊर्जा से बिजली निर्माण का दायरा बढ़ा है और यह मंत्रालय के गलियारे पर है तो अधिक सुरक्षित भी है। इसकी मदद से अधिक बिजली उत्पादन किया जा सकता है। पहले चरण में सौर ऊर्जा से बनने वाली बिजली का प्रयोग दिल्ली- सहारनपुर राजमार्ग पर प्रकाशों, दिशा-निर्देश के लिए प्रयोग होने वाले पैनल और मार्ग पर तैयार की जाने वाली जन सुविधाओं के लिए किया जाएगा। यह परीक्षण सफल होता है तो इसे देश के अन्य मार्ग पर भी प्रयोग किया जाएगा।

चार सौ किलोवाट बिजली उत्पादित की जा सकेगी

इस स्थिति में अधिक बिजली उपलब्ध होने की स्थिति में इस बिजली को ग्रिड में बिक्री किया जाएगा। इसके अतिरिक्त यह मंत्रालय के लिए कार्बन तत्व में कमी लाने के लिए कार्बन क्रेडिट उत्पन्न करने का भी बड़ा स्रोत बन सकेगा। दिल्ली-सहारनपुर मार्ग पर अभी जो प्रावधान किया जा रहा है, उसके तहत चार सौ किलोवाट बिजली उत्पादित की जा सकेगी। सौर ऊर्जा योजना को गांधी नगर से लागू किया जा रहा है।

इस बिजली से मार्ग की लाइटें और आटोमैटिक सूचना तंत्र (एटीएमएस) का संचालन किया जाएगा। इस बिजली को ‘नेट मीटिरिंग’ के माध्यम से बीएईएस को दिया जाएगा, इसके लिए मीटर लगाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। इस पूरे मार्ग पर करीब सात मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। संबंधित एजंसी ही इस योजना के रखरखाव का जिम्मा संभालेगी। इसके लिए मंत्रालय की ओर से एक समझौता भी किया गया है। यह पूर्ण परियोजना आने वाले 18 माह में पूर्ण होगी और संबंधित कंपनी को उपकरणों का 25 साल तक रखरखाव करना होगा।

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इस योजना को केंद्र सरकार की योजना के तहत लागू किया जा रहा है, जिसमें 500 गीगावाट हरित ऊर्जा वर्ष 2030 तक उत्पादित करने का लक्ष्य है। यह मार्ग दिल्ली में अक्षरधाम के नजदीक से शुरू हो रहा है और अंकुर विहार डीलएलएफ उत्तर प्रदेश सीमा के पास समाप्त हो रहा है। इस मार्ग में उपरिगामी मार्ग 6.910 किलोमीटर है और इसे करीब 1479 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया जा रहा है।

दिल्ली-सहारनपुर गलियारा कुल 213 किलोमीटर लंबा है और इसे करीब 23 हजार करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया जा रहा है। यह इस माह के अंत तक पूर्ण हो जाएगा और इसकी मदद से दिल्ली से सहारनपुर जाने का समय घटकर डेढ़ से दो घंटे ही रह जाएगा।

इसे कई हिस्सों में तैयार किया गया है और जैसे- जैसे निर्माण पूर्ण हो रहा है। उन्हें खोला जा रहा है। इसके लिए मंत्रालय ने तीन राज्यों से करीब 13 हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया है। इसका लाभ दिल्ली, उत्तर प्रदेश ओर उत्तराखंड को मिलेगा।