कोरोना महामारी से लड़ने के लिए केंद्र सरकार का आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च के बाद से ही सवालों के घेरे में है। अमेरिका स्थित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने रिव्यू में एप की रेटिंग को 2 से घटाकर एक कर दिया है। एमआईटी ने एप को रिव्यू में एक नंबर देने के पीछे वजह भी बताई है।

एमआईटी के मुताबिक इस एप के जरिए भारत डेटा न्यूनता के पैरामीटर खरा नहीं उतरता एप्लिकेशन कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के उद्देश्य के लिए आवश्यक जानकारी से ज्यादा डेटा एकत्र करता है। एमआईटी के रिव्यू में रिसचर्स ने कहा है कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए एप में जितनी जानकारी प्रर्याप्त हो सकती हैं उससे ज्यादा जानकारी यूजर्स से मांगी जा रही है।

वहीं दिग्गज टेक्नॉलजी कंपनी एपल और गूगल ने कोरोना वायरस के संपर्क में आने की आशंका होने पर लोगों को अपने आप सूचित करने वाली स्मार्टफोन तकनीक जारी की है। कंपनी का कहना है कि कई देश इस तकनीक का इस्तेमाल कर अपना खुद का एप बना रहे हैं।

विशेषज्ञों ने आरोग्य सेतु और एपल और गूगल की तकनीक में क्या अंतर है इसके बारे में कहा है कि भारत में एप में जानकारी जुटाने के लिए ब्लूटूथ और जीपीएस का इस्तेमाल किया गया है जबकि गूगल और एप्पल सिर्फ ब्लूटूथ तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। साइबर सिक्योरिटी फर्म स्केंट्रिक्स के संस्थापक और सीईओ परन चंद्रशेखरन के मुताबिक ब्लूटूथ तकनीक की अपनी सीमाएं हैं और आरोग्य सेतु आप की तरह ये लोकेशन डाटा को एकत्रित नहीं करती।

मालूम हो कि आरोग्य सेतु एप पर विपक्षी पार्टी भी सवाल खड़े कर चुकी है। विपक्ष का कहना है कि एप के जरिए लोगों पर नजर रखी जा रही है। एप पर विपक्ष के आरोपों को केंद्र सरकार ने निराधार बताया है और कहा है कि यह सुरक्षा के लिहाज से एकदम सिक्योर एप है।