लद्दाख की ऊंची पहाड़ियां और बहुत ज्यादा ठंडा मौसम इंसान को हर कदम पर चुनौती देते हैं। खतरनाक हालात के चलते ही लद्दाख को ‘ठंडा रेगिस्तान’ भी कहा जाता है। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में सेना के जवानों को ना सिर्फ दुश्मन का सामना करना पड़ता है बल्कि खराब मौसम से भी निपटना पड़ता है और उसमें अपनी सीमा की रक्षा भी करनी होती है। 15000 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर भारतीय सेना के जवान लद्दाख की पूर्वी सीमा की रक्षा में डटे रहते हैं।
लद्दाख में सैनिकों की मुश्किल का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यदि स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर का पालन करने में थोड़ी भी चूक हुई तो सैनिक को गंभीर शारीरिक तकलीफ से गुजरना पड़ सकता है। यहां तक कि कई बार जान भी जा सकती है।
बता दें कि बहुत ज्यादा ऊंचाई की वजह से सैनिकों में खून का थक्का जमने की समस्या हो जाती है। रात के समय यहां का तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। वहीं सर्दियों के दिनों में तो यहां रात के समय तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है। ऐसे हालात में जहां सर्वाइव करना ही चुनौती है, वहां भारतीय सेना के जवान हथियार और अन्य जरुरी सामान लेकर सीमा पर पेट्रोलिंग भी करते हैं।
मनी कंट्रोल के साथ बातचीत में भारतीय सेना के रिटायर्ड कमांडेंट कर्नल एस डिन्नी ने बताया कि ईस्टर्न लद्दाख में तैनात भारतीय सेना के जवानों को ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी काफी मजबूत होना पड़ता है। दरअसल लद्दाख में अक्सर सीमा विवाद को लेकर चीन की सेना के जवानों के साथ तनातनी चलती रहती है। ऐसे में समय में खुद को शांत और मजबूत दिखाना भी काफी मुश्किल काम होता है।
बता दें कि भारत और चीन के बीच की काफी सीमा विवादित है। यही वजह है कि यहां आए दिन भारत और चीनी सैनिकों के बीच तनातनी की खबरें आती रहती हैं। गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच समझौता है कि सीमा पर तैनात सैनिक गोली नहीं चलाएंगे। ऐसे में ऐसे तनावपूर्ण माहौल में सुरक्षा करना काफी चुनौतीपूर्ण है।

