राज्य सभा में उपस्थिति को लेकर पूर्व CJI जस्टिस रंजन गोगोई के बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि यह भारत की संसद का अपमान है। दरअसल एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू के दौरान जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि मुझे जब लगता है कि सदन जाना चाहिए तो जाता हूं, यह मेरी मर्जी है। वह इस समय राज्यसभा में नॉमिनेटेड सांसद हैं।

इंटरव्यू के दौरान जब जस्टिस गोगोई से पूछा गया कि सदन में आपकी उपस्थिति इतनी ख़राब क्यों है।60 बैठकों में से आप केवल 6 दिन उपस्थित रहे। ? इसपर उन्होंने जवाब दिया, आपने यह अनदेखा कर दिया कि एक या दो सेशन में मैंने सदन को लेटर दिया था कि कोविड की वजह से मैं कार्यवाही में शामिल नहीं हो पाऊंगा। उन्होंने आगे कहा, ‘इससे पहले वाले सत्र में आप आरटीपीसीआर करवाने के बाद ही राज्यसभा में जा सकते थे। मुझे यह अच्छा नहीं लगता था।’

उन्होंने आगे कहा, ‘राज्यसभा में सोशल डिस्टैंसिंग नियमों को लागू किया गया था लेकिन उनका पालन नहीं हो पाता था। बैठने की व्यवस्था भी ठीक नहीं थी। लेकिन यह भी वजह नहीं है। दरअसल मेरा जब मन होता है या मुझे जरूरी लगता है तो मैं राज्यसभा जाता हूं। मुझपर कोई दबाव नहीं डाल सकता। मैं किसी पार्टी के तहत नहीं काम करता। मुझे नामांकित किया गया था। मैं सदन में अपनी इच्छा से जाता हूं और अपनी इच्छा से बाहर निकलता हूं। मैं सदन का एक स्वतंत्र सदस्य हूं।’

इसपर जयराम रमेश ने कहा कि संसद केवल बोलने वाली जगह नहीं है। एक ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘यह तो संसद का अपमान है कि कोई सदस्य कहे कि वह सदन में अपनी मर्जी से आएगा-जाएगा। संसद केवल बोलने के लिए नहीं होती बल्कि सुनने के लिए भी होती है।’

बता दें कि जस्टिस रंजन गोगोई की आत्मकथा का हाल ही में विमोचन हुआ है। इसमें उन्होंने अपने तर्क देकर यह भी समझाने की कोशिश की है कि सर्वोच्च न्यायिक पद के बाद वह राज्यसभा क्यों चले गए। उनका कहना है कि जब उन्हें राज्यसभा का ऑफर दिया गया तो उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के स्वीकार कर लिया क्योंकि वह नॉर्थ ईस्ट के लोगों की समस्याएं उठाना चाहते हैं।