अकाल तख्त के एक जत्थेदार ने शुक्रवार (9 अगस्त) को सिख समुदाय से कश्मीरी लड़कियों को लेकर एक अपील की। उन्होंने कहा, ‘आर्टिकल 370 और जम्मू-कश्मीर पर पर बड़े फैसले के बाद कुछ राजनेताओं और अन्य लोगों की तरफ से सोशल मीडिया पर निशाना बनाई जा रहीं कश्मीरी लड़कियों और उनके सम्मान की रक्षा करने को अपना धार्मिक कर्तव्य बनाएं।’
‘ऐसे बयानों से भारत की छवि खराब होती है’: जत्थेदार जियानी हरप्रीत सिंह ने अपने बयान में कहा, ‘भगवान ने सभी इंसानों को बराबर अधिकार दिए हैं और उनमें जाति, लिंग या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए। जिस तरह की बातें सोशल मीडिया पर कही जा रही हैं वे न सिर्फ अपमानित करने वाली है बल्कि अक्षम्य भी हैं।’ किसी का भी नाम लिए बिना उन्होंने कहा, ‘इससे भारत की छवि को भी नुकसान पहुंचता है। ऐसे बयान महिलाओं को महज एक वस्तु समझने जैसे हैं। ऐसा कहते वक्त लोग भूल जाते हैं कि उनकी मां, बेटी, बहन या पत्नी भी एक महिला है। वह महिला ही जिसके पास सृजन की ताकत है।’
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‘1984 में भी ऐसा ही था हाल’: यह भीड़ जो कश्मीरी महिलाओं को निशाना बना रही है, ऐसी ही प्रतिक्रिया भीड़ ने 1984 में भी जाहिर की थी, तब सिख विरोधी दंगों के दौरान महिलाओं पर हमला किया गया था। उन्होंने कहा, ‘कश्मीरी महिलाएं समाज का हिस्सा हैं। यह हमारा धार्मिक कर्तव्य है कि हम उनके सम्मान की रक्षा करें। यही हमारा इतिहास भी है।’ इसी बीच दिल्ली के एक सिख कार्यकर्ता हरमिंदर सिंह अहलूवालिया ने महाराष्ट्र में फंसी 34 कश्मीरी लड़कियों को उनके घर पहुंचाने का जिम्मा उठाया है। उन्होंने लड़कियों को जाने के लिए टिकट खरीदकर देने के लिए 4 लाख रुपए जुटाए हैं।
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