संसद में चल रहे मानसून सत्र के बीच महंगाई के मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। संसद में विपक्षी दलो द्वारा महंगाई पर सरकार से कई तरह के सवाल पूछे जा रहे। इस बीच विपक्षियों के सवाल का जवाब देते हुए यशवंत सिन्हा के बेटे व भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद यशवंत सिन्हा ने कहा कि देश में महंगाई नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने पूछा कि सब्जियों का दाम कहां बढ़ा है। जिस पर लोग उन्हें ट्रोल कर रहे हैं।
जयंत सिन्हा का बयान
बीजेपी सांसद ने संसद में अपनी बात रखते हुए कहा, ‘आप किसी गरीब की थाली को देखिए, और उससे पूछिए कि आज चावल के लिए आपको क्या भाव देना पड़ रहा है, तो वह बताएगा कि आज चावल मुफ्त मिल रहा है। दाल भी बहुत कम दाम पर मिल रही है।’ उन्होंने आगे कहा कि 8 साल पहले जो सब्जी 10-15 रुपए की मिलती थी, आज वो 15-20₹ की मिल रही है, कहां सब्जी का दाम बढ़ा है?
बीजेपी सांसद ने कहा – महंगाई तो है ही नहीं
जयंत सिन्हा ने नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि आप अंडा का दाम देख लें, दूध का दाम देख लें, आटा का दाम देख लें, हर वस्तु पर जो नियंत्रण इस सरकार का रहा है वह अतुल्य और अकल्पनीय रहा है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, ‘आज गरीब की थाली आंकड़ों से नहीं, वस्तुओं से भरी है। उनका पेट उससे ही भरा जा रहा है। विपक्ष मंहगाई ढूंढ़ रही है, मंहगाई मिल ही नहीं रही है, क्योंकि मंहगाई है ही नहीं।’
यूजर्स ने यूं किया ट्रोल
आरजेडी नेता नवल किशोर ने लिखा, ‘ग़ज़ब का चापलूसी है। बंद दिमाग़, हयामुक्त, सम्पूर्ण अनर्गल और थेथरई से लैस भाजपाइ कितनी आसानी से झूठ परोसता है। देख रहा है ना बिनोद, ये कितना विनाशकारी झुंड है जिसका नेतृत्व बर्बादी के महानायक हैं।’ अभिनव पांडे नाम के ट्विटर यूजर द्वारा लिखा गया कि मोदी सरकार में मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को 15 रुपए का भुट्टा महंगा लग रहा है और सरकार के ही तमाम सांसद, मंत्री संसद में दलीलें दे रहे हैं कि महंगाई कतई नहीं है। है ना गजब।
अंकित लाल नाम के एक टि्वटर हैंडल से तंज कसते हुए लिखा गया, ‘कभी सब्ज़ी मंडी जाइए जयंत जी। जो सामान 8 साल पहले 10-15 रुपए का मिलता था, अब 40-50 रुपए का मिलता है।’ भरत त्यागी नाम के ट्विटर यूजर कमेंट करते हैं कि यशवंत सिन्हा जी प्लीज इन्हें सब्जी लाने के लिए बाजार भेज दिया करिए। गोविंद प्रताप सिंह नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया – साहब को 200 रूपए दो और एक झोला दो। कह दिया जाए कि जाइए बाजार हो आइए, फिर देखो 200 में क्या-क्या ला पाते हैं?