भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ( एएसआई ) द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि उत्तराखंड स्थित तुंगनाथ मंदिर झुक गया है, यह मंदिर गढ़वाल हिमालय के रुद्रप्रयाग जिले में 12,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ASI की रिपोर्ट के अनुसार यह मंदिर लगभग पांच से छह डिग्री तक झुका हुआ है।

एएसआई के अधिकारियों ने बताया है कि रिपोर्ट के बारे में केंद्र सरकार को अवगत कराया है और सुझाव दिया है कि मंदिर को संरक्षित स्मारक के रूप में शामिल किया जाए। मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार ने इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और आपत्तियां मांगने के लिए एक अधिसूचना जारी की है। ASI मंदिर को पहुंचे नुकसान के कारण पता लगाएगा ताकि तुरंत मरम्मत की जा सके।

ASI रिपोर्ट के बाद अधिकारियों ने मंदिर के धंसने की संभावना से भी इनकार नहीं किया है, जो मंदिर में आये बदलाव का एक कारण हो सकता है। कहा तो यह भी गया है कि जरूरत पड़ी तो विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर क्षतिग्रस्त शिलान्यास को बदला जाएगा। ASI की तरफ से मुख्य मंदिर की दीवारों पर कांच के तराजू लगाए हैं, जिससे मंदिर में आने वाले झुकाव का अंदाजा लगाया जा सकता है।

तुंगनाथ मंदिर को दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है, दावा है कि 8वीं शताब्दी में कत्यूरी शासकों ने बनवाया था। यह बद्री केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के प्रशासन के अधीन आता है। यह मंदिर 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर करीब एक हजार साल पुराना बताया जा रहा है।

वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों ने भगवान शिव को खुश करने के लिए करवाया था। कहते हैं कि बैल के रूप भगवान शिव के हाथ दिखाई दिए थे, इसके बाद पाण्डवों के द्वारा तुंगनाथ मंदिर का निर्माण करवाया गया था। ‘तुंग’ मतलब हाथ और भगवान शिव के प्रतीक के रूप ‘नाथ’ शब्द से तुंगनाथ मंदिर नाम पड़ा था।