नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड), लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और सोनिया गांधी की कांग्रेस से मिलकर बना बिहार महागठबंधन बुधवार (26 जुलाई, 2017) को बिखर गया। बुधवार शाम नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान उन्होंने तेजस्वी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें सार्वजिनक तौर पर अपने ऊपर लगे आरोपों की सफाई देनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसलिए मजबूरी में इस्तीफा देना पड़ रहा है। राज्यपाल को इस्तीफा देने के 16 घंटे बाद ही नीतीश ने भाजपा के साथ सरकार बना ली और छठी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। आज बीजेपी के साथ आए नीतीश कुमार ने साल 2015 में कहा था कि बीजेपी बिहार में खुलेआम लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रही है।
दरअसल 2014 में लोकसभा के चुनावों में जनता दल यूनाइटेड के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए नीतीश कुमार ने बिहार के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। पद छोड़ने के बाद जदयू ने जीतन राम मांझी को बिहार का सीएम बनाया था। साल 2015 में एक बार फिर से नीतीश कुमार जीतन राम मांझी को हटाकर सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए थे। नीतीश के इस कदम से जीतन राम मांझी ने बगावत कर दी थी। बिहार में तब उपजे राजनीतिक संकट के वक्त नीतीश ने बीजेपी पर करारा हमला बोला था।
तब नीतीश कुमार ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि ये लोग बिहार में विधायकों की खरीद फरोख्त कर रहे हैं। नीतीश ने कहा था कि बीजेपी मनमाने ढंग से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगवाना चाह रही है। नीतीश ने बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी के लिए कहा था कि ये लोग सरेआम लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रहे हैं।