वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र सिंह त्यागी अपने बयानों के जरिए अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। हाल में ही उन्होंने कहा कि बहुत सोचने के बाद वह सनातन धर्म में आए थे लेकिन यहां भी उनको मोहब्बत और प्रेम नहीं मिला। जिसकी वजह से वह डिप्रेशन में हैं। जितेंद्र त्यागी द्वारा दिए गए इस बयान पर सोशल मीडिया यूजर्स चुटकी लेते नजर आ रहे हैं।
जितेंद्र त्यागी का बयान
जितेंद्र त्यागी ने कहा कि 14 साल पहले कई नस्लों के बाद हम अपने घर वापस हुए थे और सनातन धर्म को कबूल कर लिया था। सनातन धर्म से हम पहले से ही प्रभावित थे लेकिन मेरे साथ एक ऐसा रवैया अपनाया गया जैसे कि कोई बहुत पुराना रिश्तेदार घर वापस आया हो। सनातन धर्म में वापस आने के बाद जो कुछ भी मुझे मिलना चाहिए था वह नहीं मिला, मुझे नहीं लगता कि घर में हमें वह मोहब्बत मिली जो मिलनी चाहिए थी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अपने दुश्मनों के हाथों मरने से पहले मैं खुद अपना जीवन समाप्त कर लूं लेकिन मैं मरते दम तक सनातन में ही रहूंगा।
लोगों की प्रतिक्रियाएं
राजा हिंदुस्तानी नाम के एक टि्वटर यूजर ने हंसने वाली इमोजी के साथ कमेंट किया कि मैं हूं प्यार का पुजारी और मुझे प्यार चाहिए। रजा खान नाम के एक यूजर द्वारा लिखा गया, ‘जिसने अपने मजहब से गद्दारी की, उससे कौन वफा करेगा।’ भगत राम नाम की एक यूज़र लिखते हैं – सिर्फ नाम बदला होगा, कपड़े नहीं। कपड़ों से पहचान में आ रहे होंगे अभी भी, और नागपुर का चक्कर भी नहीं लगाया होगा एकाध बार, नहीं तो…।
एक अन्य यूज़र ने सवाल किया कि भाई तुम्हें कैसा प्यार चाहिए था? कमालुद्दीन खान नाम के यूजर पूछते हैं – हाउ मेनी प्यार यू वांट? सौरभ नाम के यूजर लिखते हैं, ‘अब आप ईसाई या सिख बनकर देख लीजिए।’ रईस खान नाम के एक दूसरे यूज़र द्वारा कमेंट किया गया कि अरे यह क्या हो गया? अफसोस। अमृता त्रिपाठी नाम की एक ट्विटर यूजर कमेंट करती हैं कि कोई अपना धर्म छोड़कर कितनी आस के साथ आपके धर्म में आए और आप उसे प्यार न दें, यह तो गलत बात है।
भड़काऊ भाषण मामले में वसीम रिजवी ने कर दिया सरेंडर
हरिद्वार में हुई धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने के मामले में वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी ने कोर्ट में सरेंडर भी कर दिया है। जितेंद्र त्यागी आज यानी शुक्रवार को हरिद्वार की एक अदालत में आत्मसमर्पण करने पहुंचे। गौरतलब है कि हरिद्वार के वेद निकेतन में 17 से 19 दिसंबर 2021 को धर्म संसद हुई थी। इसमें कई संतों के साथ जितेंद्र नारायण त्यागी भी शामिल हुए थे, जिसमें उन्होंने धर्म विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जिसको लेकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था और उसके बाद गिरफ्तार भी कर लिया गया था।