उत्तर प्रदेश के वाराणसी के एक कुत्ते को नीदरलैंड जाने का मौका मिला है। अप्रैल महीने में एक महिला वाराणसी घूमने आई थी। इस दौरान जया नाम की फीमेल डॉग उसके पास आ गई। थोड़ा दुलार-प्यार मिलने के बाद जया नीदरलैंड से घूमने आई महिला के पीछे-पीछे चलने लगी। इसी दौरान कुत्ते के एक ग्रुप ने उस पर हमला कर दिया। विदेशी महिला ने एक NGO की मदद से कुत्ते की जान बचाई और उसका इलाज करवाया।

वाराणसी घूमने आई एम्स्टर्डम की मूल निवासी मेराल बोंटेनबेल ने बताया कि वह हमेशा से एक पालतू जानवर घर लाना चाहती थीं और वाराणसी की सड़क पर घूम रहे कुत्ते से उन्हें लगाव हो गया। हालांकि मेराल बोंटेनबेल ने बताया कि मेरे दिमाग में उसे अपने साथ ले जाने की पहले से कोई योजना नहीं थी। मैं बस उसे वाराणसी की सड़कों पर सुरक्षित छोड़ देना चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं कर पाई और कुत्ते को साथ ले जाने का फैसला किया।

6 महीने तक करना पड़ा इंतजार

हालांकि जया को मेराल बोंटेनबेल ने अपने साथ ले जाने का फैसला तो कर लिया लेकिन ये इतना आसान भी नहीं था। समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए महिला बताया कि जया के पासपोर्ट और वीजा की व्यवस्था करने के लिए छह महीने तक इंतजार करना पड़ा। अब उसके सारे डॉक्यूमेंट पूरे हो गए हैं और वह नीदरलैंड की उड़ान भरने के लिए तैयार है।

महिला ने कुत्ते को ले जाने के लिए सारे डॉक्यूमेंट पूरे होने के बाद ख़ुशी जताते हुए कहा कि उसे अपने साथ ले जाने में सफल होने पर मुझे अब ख़ुशी हो रही है। मैं हमेशा से एक कुत्ता पालना चाहती थी लेकिन ऐसा कर नहीं पाई। हालांकि जब जया हमारे पास आई तो हमें अच्छा लगा।

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वाराणसी ने ऐसे विदा हुई ‘जया’

जया की देखभाल और इलाज करने वाले Animotel Care Trust के सुदेशना वासु ने जनसत्ता.कॉम से बात करते हुए बताया कि कुत्ते के घायल होने के बाद महिला ने फोन किया और रोते हुए मदद की मांग की थी। महिला की फ्लाइट थी वो वह निकल गई लेकिन NGO के संपर्क में थी। जया के ठीक होने के बाद महिला ने उसे अपने साथ ले जाने का फैसला किया। NGO की मदद से जया की तमाम तरीके की जांच हुई और फिर इसके बाद सारे डॉक्यूमेंट बन गये और अब जया नीदरलैंड जा रही है।

सुदेशना वासु ने बताया कि जया के गले में जियो टैगिंग लगाया है, इससे जया के मूवमेंट की जानकारी मिलती रहेगी। फिलहाल जया दिल्ली पहुंच गई है और सारे कागजात पूरे होने के बाद 31 अक्टूबर को नीदरलैंड की उड़ान भरेगी। हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं है जब कोई कुत्ता विदेश गया हो, कुछ समय पहले ही ‘मोती’ नाम के कुत्ते को भी एक दम्पत्ति अपने साथ विदेश लेकर गए थे।