प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं। इस दौरान पीएम मोदी वहां की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित भी करने वाले हैं। हालांकि कुछ सांसदों ने पीएम मोदी के इस भाषण का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। सांसदों ने भारत में अल्पसंख्यकों के शोषण का आरोप लगाया है। इस पर भारत के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और मुस्लिम नेता आतिफ रशीद अमेरिकी सांसदों को करारा जवाब दिया है।
अमेरिकी सांसद ने पीएम मोदी का किया विरोध
अमेरिकी सांसद इल्हान उमर ने ट्वीट कर कहा, “प्रधान मंत्री मोदी की सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन किया है, हिंसक हिंदू राष्ट्रवादी समूहों को गले लगाया है, और पत्रकारों/मानवाधिकार अधिवक्ताओं को निशाना बनाया है, इसलिए मैं मोदी के भाषण में शामिल नहीं होने वाली।” इस पर आतिफ रशीद ने जो जवाब दिया, वह अब वायरल हो रहा है।
आतिफ रशीद ने दिया ये जवाब
आतिफ रशीद ने कहा, “मैं भारत के धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय से हूं लेकिन मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत में अपनी धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक पहचान के साथ स्वतंत्र रूप से रहता हूं। यहां के हर संसाधन में मेरी बराबर की हिस्सेदारी है, मुझे भारत में जो भी बोलना है बोलने की आजादी है।”
आतिफ रशीद ने कहा, “भारत में मुझे जो लिखना है, लिखने की भी आजादी है। मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि आप अपने नफरत के एजेंडे के तहत मेरे भारत की गलत तस्वीर दिखा रहे हैं। अपने मुंह से जहर उगलना बंद करो।” आतिफ रशीद का यह ट्वीट वायरल हो रहा है और तमाम लोग इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ उनकी बात से सहमति जता रहे हैं तो कुछ ऐसे लोग है जो अमेरिकी सांसदों के विरोध को जायज ठहरा रहे हैं।
कुछ सोशल मीडिया यूजर्स की प्रतिक्रियाएं
एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “उमर ‘आतिफ’ या ‘मुख्तार अब्बास नकवी’ के लिए नहीं लड़ रहे हैं। वह ईशान जाफरी, पहलू खान और डर के कारण उत्तराखंड से भाग रहे सैकड़ों मुसलमानों के लिए लड़ रहे हैं।” एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा, “देश के खिलाफ लिखने वाले, प्रधानमंत्री का दिन-रात विरोध करने वाले लोग कह रहे हैं कि वह आजाद नहीं है।” एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि जो लोग भारत को नहीं जानते, वह भारत की लड़ाई की बात कह रहे हैं।
ट्विटर यूजर @amitkumar9481 ने लिखा कि एक बार भाजपा से नाता तोड़कर, फिर सरकार के खिलाफ बोलकर दिखाओ तब देखो क्या होता है। एक अन्य यूजर ने लिखा कि प्रधानमंत्री का विरोध अमेरिका में? वो भी अमेरिकी सांसदों के द्वारा? सही है, अगर विरोध ना हो तो कार्यक्रम कभी बड़ा नहीं बन पाता। हमें तो उन सांसदों का आभार करना चाहिए जो विरोध करने के लिए सामने आये हैं।