केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पूरी (Union Minister Hardeep Singh Puri) दो दिवसीय यात्रा पर कश्मीर (kashmir) पहुंचे, जहां उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) की कश्मीर नीति को लेकर निशाना साधा। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर कश्मीर के मुद्दे को अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर क्यों ले जाया गया? इसके बाद हरदीप सिंह पूरी ने भाजपा कार्यालय (Kashmir BJP Office) में बैठकर एक तस्वीर शेयर की। तस्वीर में पीछे पार्टी का निशान (कमल का फूल) और कश्मीर लिखा हुआ दिखाई दे रहा है। इस पर कांग्रेस के कांग्रेस सोशल मीडिया टेक हेड ने तंज कसते हुए जवाब दिया है।

केंद्रीय मंत्री के ट्वीट पर ‘कांग्रेस’ का जवाब

हरदीप सिंह पूरी ने ट्वीट करते हुए लिखा, “कमल का फूल, कमाल का फूल, विकास का फूल, बदलाव का फूल, उम्मीदों का फूल, उन्नति का फूल।” केंद्रीय मंत्री के इस ट्वीट को रिट्वीट कर कांग्रेस सोशल मीडिया टेक हेड प्रशांत प्रताप सिंह (Prashant Pratap Singh) ने लिखा, “भेल पूरी,पानी पूरी, आलू पूरी, हरदीप पूरी, चाटुकारिता हो गई पूरी?” खबरों की मानें तो प्रशांत के इस ट्वीट को हरदीप सिंह पूरी ने लाइक भी कर दिया था, जिसे बाद में अनलाइक कर दिया।

लोगों की प्रतिक्रियाएं

@Hajindersingh2 यूजर ने हरदीप सिंह पूरी के ट्वीट पर लिखा कि दिल बहलाने के लिए ख्याल अच्छा है गालिब, हमको मालूम है कि जन्नत की हकीकत क्या है। पुरी साहब कश्मीरी पंडित तो कह रहे हैं कि कमल का फूल, हमारी भूल। प्रणव ने लिखा कि सब को बनाया अप्रैल फूल! @PawanDurani यूजर ने लिखा कि हरदीप सिंह पुरी जी, मैं आपका समर्थन नहीं करूंगा। मैं हमेशा बीजेपी को वोट दूंगा, लेकिन यह कहते हुए कि आपकी पार्टी ने कश्मीरी हिंदू समुदाय की पीठ में छुरा घोंपा है।

@IamVivek82 यूजर ने लिखा कि निजीकरण के लिए जिम्मेदार कमल का फूल, अग्निवीर के लिए जिम्मेदार कमल का फूल, नोटबंदी के लिए जिम्मेदार कमल का फूल, वैमनस्य का जिम्मेदार कमल का फूल! @dr_sinhal यूजर ने लिखा कि जनता को बनाते रहे फूल, हमारी हो गई सबसे बड़ी भूलl एक यूजर ने लिखा कि कश्मीर में बदलाव के साथ ही रसोई गैस के दाम में भी बदलाव कीजिये सर।

बता दें कि केंद्र सरकार के जनसंपर्क कार्यक्रम के तहत केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी श्रीनगर के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे, जहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल और शराब ही कई राज्यों के लिए आय के सबसे बड़े साधन हैं इससे जिन्हें कमाई हो रही है, वह क्यों इसे छोड़ना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि सिर्फ केंद्र सरकार ही महंगाई व अन्य मुद्दों पर चिंतित है। पेट्रोल डीजल को जीएसटी के अन्दर लाए जाने के लिए राज्यों की सहमति जरूरी है इसलिए मेरे या आपके चाहने से कुछ नहीं होगा।