केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक कार्यक्रम में मीडिया से देश विरोधी खबरों को जगह ना देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि मीडिया को देश की अखंडता के लिए खतरा उत्पन्न करने वाली अवधारणाओं के प्रति सतर्क रहना और उन्हें जगह देने से बचना चाहिए। सोशल मीडिया पर लोग अनुराग ठाकुर के इस बयान पर तरह-तरह की टिप्पणी कर रहे हैं।
क्या बोले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर?
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, मैं यहां इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि हमारे महान राष्ट्र की लोकतांत्रिक प्रकृति हमेशा एक तथ्य बनी रहेगी। भले ही देश या विदेश से कितनी ही स्तरहीन और अतार्किक राय जाहिर की जाए। उन्होंने कहा कि मैं मीडिया बिरादरी से सतर्क रहने और ऐसी आवाजों और आख्यानों को जानबूझकर या अनजाने में जगह देने से बचने का आग्रह करता हूं, जो भारत की अखंडता को खतरा उत्पन्न कर सकती हैं।
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं
@chandanjnu यूजर ने लिखा कि कानून मंत्री जजों को धमका रहे हैं। सूचना प्रसारण मंत्री मीडिया को धमका रहे हैं। इनका यही काम बचा है। बाकी अडानी के यहां से आदेश आता है ये लोग सिर्फ तनख्वाह लेने के मंत्री हैं। @aditya_shashi यूजर ने लिखा कि यह कौन तय करेगा कि कौन सी आवाज़ देश-विरोधी है? सरकारों को तो यह बिल्कुल भी हक़ नहीं है। @shahdanwhoop यूजर ने लिखा कि फिर वो जो “गोली मारो सा& को” जैसे भाषण का क्या करना है?
@BholaNath_BSF यूजर ने लिखा कि सरकार,पक्ष-विपक्ष, मीडिया, वक्ता-प्रवक्ता, मंत्री या संतरी, सभी को देश विरोधी और सरकार नीति विरोध के बीच का अंतर होना चाहिए। लोकतंत्र में जहां सरकार की नीति को लेकर मतभेद हो सकते हैं, देश विरोधी सोच और आवाज को कोई समर्थन या स्थान नहीं मिलना चाहिए। लोग “देश” को “देश” ही समझें, ना कि “सरकार”। @Sohaibazmi23 यूजर ने लिखा कि आज कल लोगों को लगता है कि सरकार की क्रिटिसिज़म करना देश की क्रिटिसिज़म है जबकि दोनो में काफ़ी अंतर है।
ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया को लेकर जो बयान दिए हैं, उनका निशाना राहुल गांधी द्वारा लन्दन में दिए गये बयान पर था। उन्होंने अपने संबोधन में यह भी कहा कि आजकल सार्वजनिक चर्चा में अकसर ‘लोकतंत्र’ शब्द सुनाई देता है़, शासन का सम्मानित सिद्धांत अब उनके लिए ‘फैशन स्टेटमेंट’ मात्र बनकर रह गया है जिन्होंने लगातार देश के लोकतंत्र और उसकी संस्थाओं को कमजोर करने का प्रयास किया है।