प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को शिवाजी की प्रतिमा का भूमिपूजन पर किया। मोदी और राज्य की बीजेपी गठबंधन सरकार ने मराठा राजा शिवाजी की विशाल प्रतिमा बनवाने का निर्णय लिया है। यह प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी बड़ी होने वाली है। उसकी लंबाई 210 मीटर होगी। उसे अरब सागर के बीच में बनाए जाने की बात कही जा रही है। जिसके लिए 16 हेक्टेयर की जमीन भी ले ली गई है। इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, उस प्रतिमा को बनाने का कुल खर्च 3,600 करोड़ रुपए आने वाला है। सरकार की इस योजना पर ट्विटर यूजर्स दो हिस्सों में बंटे नजर आए। जहां एक तरफ यूजर्स ने सरकार के इस फैसले की जमकर सराहना की तो वहीं कुछ यूजर्स ने इस फैसले को गैर जरूरी बताया। कूछ यूजर्स ने कहा कि सरकार इन पैसों को दूसरे जरूरी काम में भी इस्तेमाल कर सकती थी।

वहीं जानकार देवेंद्र फणनवीस सरकार के इस कदम काफी सोच-समझकर उठाया गया कदम बता रहे हैं। दरअसल, राज्य में चल रहे मराठा आंदोलन की वजह से मराठाओं के बीच बीजेपी की छवि खराब हुई है। ऐसे में राज्य सरकार बेकफुट पर है। दरअसल, मराठा लोग अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम को हटाने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा वह चाहते हैं कि उनकी जाति को आरक्षण दिया जाए। शनिवार को भूमि पूजन कार्यक्रम के दौरान बीजेपी शिवसेना में तनातनी साफ देखने को मिली। उद्धव का भाषण उस वक्त बाधित किया गया जब कुछ भाजपा समर्थकों ने ‘‘मोदी, मोदी’’ के नारे लगाना शुरू कर दिया। नारेबाजी के कारण शिवसेना प्रमुख को कुछ देर के लिए अपना भाषण रोकना पड़ा। इससे पहले, जब पाटिल के भाषण में बाधा डाली गई तो देवेंद्र फडणवीस ने व्यक्तिगत तौर पर दखल दिया और भीड़ को नियंत्रित किया। इस हफ्ते की शुरूआत में यहां राम मंदिर स्टेशन के उद्घाटन के दौरान शिवसेना और भाजपा कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की थी और वरिष्ठ नेताओं के भाषण में बाधा डाली थी। शिवसेना केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार के विभिन्न फैसलों की समय-समय पर आलोचना करती रही है। इसके चलते दोनों के रिश्‍तों में तनाव रहता है।

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