नई दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में अतिक्रमण हटाने पहुंचा बुलडोजर 9 मई को वापस हो गया। भारी विरोध प्रदर्शन के बीज एमसीडी की तरफ से केवल कुछ बिल्डिंग के बाहर लगी लोहे की रॉड को हटाया गया। शाहीन बाग में कार्रवाई ना होने पर एंकर सुशांत सिन्हा (Anchor Sushant Sinha) ने सोशल मीडिया पर सवाल किया कि यह देश भीड़ तंत्र से चलेगा या संविधान से? इस पर लोगों ने अपने रिएक्शन दिए हैं।
सुशांत सिन्हा का ट्वीट : एंकर द्वारा लिखा गया की भीड़ ने शाहीन बाग में बुलडोजर नहीं चलने दिया। भीड़ ने CAA -NRC रोक दी, भीड़ ने ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे रोक दिया। भीड़ ने कृषि कानून नहीं आने दिया, जबकि एक बहुत बड़ी भीड़ चुपचाप सब देख कर सोच रही है कि देशभर तंत्र से चलेगा या संविधान से?
यूजर्स के जवाब : अश्वनी उपाध्याय नाम के ट्विटर यूजर कमेंट करते हैं कि भीड़ की फंडिंग हवाला और FCRA से होती है। फंडिंग बंद तो भीड़ गायब। राघव नाम के टि्वटर हैंडल से लिखा गया – विरोध करने का अधिकार जनता से नहीं छीना जा सकता है, नहीं तो संविधान और संवैधानिक संस्थाओं से लोगों का विश्वास उठ जाएगा। स्वामी नाम के एक यूजर लिखते हैं कि इस भीड़ के आगे शक्तिशाली सरकार अपने घुटने टेक रही है।
अशोक भरद्वाज नाम के एक यूजर ने लिखा – इसका मतलब वर्तमान की सरकार बहुत कमजोर है और हमें बीजेपी सरकार को बदलने की जरूरत है। शेफाली वैद्य ने कमेंट किया, ‘ गजब की बात तो यह है कि ये भीड़ हमेशा समुदाय विशेष की ही क्यों होती है?’ प्रिंस नाम के एक यूजर द्वारा लिखा गया कि आपको पता होना चाहिए कि भीड़ ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली पद पर बैठे उस समय के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बंकर में छुपने पर मजबूर कर दिया था।
विकास नाम के एक यूजर सवाल करते हैं कि बुलडोजर के संविधान के तहत चलाया जा रहा है? कृष्णा नाम के एक यूजर द्वारा लिखा गया, ‘यह भीड़तंत्र तंत्र नहीं राजनीति तंत्र है, जो देश के लिए बेहद घातक है।’ विजय सिंह राठौर नाम के ट्विटर हैंडल से कमेंट किया गया कि बिजनेसमैन सरकार में भीड़ तंत्र से ही देश चलेगा क्योंकि सख्त कदम के लिए इंदिरा बनना होता है, जो अमित शाह नहीं है।