कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद गुलाम नबी आजाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर जमकर निशाना साध रहे हैं। गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को भेजे गए पत्र में भी राहुल गांधी के क्रियाकलाप पर कई तरह के सवाल उठाए थे। इन्हीं तमाम विषयों पर एक टीवी चैनल से बातचीत कर रहे गुलाम नबी आजाद से एंकर ने कई तरह के सवाल पूछे थे। जिसका उन्होंने जवाब दिया।
एंकर ने पूछे ऐसे सवाल
‘टाइम्स नाउ नवभारत’ चैनल के कार्यक्रम में पहुंचे गुलाम नबी आजाद से एंकर नाविका कुमार ने पूछा, ‘आपको दोबारा राज्यसभा की सीट नहीं दी गई इसलिए रूठ कर आप पार्टी के खिलाफ बयान देने लगे?’ इसके जवाब में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि किसी पर आरोप लगाना आसान है लेकिन उसके लिए दिमाग भी चाहिए। ये ऐसे लोग बोलते हैं, जिनके पास दिमाग नहीं है और वह उधार लेकर आए हैं।
राहुल गांधी पर कसा तंज
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि अपने राज्यसभा के कार्यकाल के खत्म होने से पहले सोनिया गांधी को एक बार और पत्र लिखा था। जिसमें मैंने इस तरह की बातों का जिक्र किया था। उस समय भी मैंने कहा था कि राहुल गांधी किसी से मुलाकात नहीं करते हैं। इसके साथ उन्होंने बताया कि उस लेटर का जवाब नहीं आया था, जिसके बाद हम 23 लोगों ने उन्हें दोबारा लेटर लिखा था। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह कांग्रेस के एजेंडे को मजबूत करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। उन्हें राज्यसभा और विपक्ष के नेता का पद नहीं चाहिए था।
गुलाम नबी आजाद बोले – 25 साल से नहीं हुए हैं वर्किंग कमेटी के चुनाव
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 25 साल से यहां पर वर्किंग कमेटी का चुनाव ही नहीं हुआ। राज्यसभा को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी से कहा कि मैंने राज्यसभा की सीट नहीं मांगी थी। उन्होंने बताया कि सोनिया गांधी के साथ हुई एक बैठक में मैंने कहा था कि मुझे किसी भी प्रकार का पद नहीं चाहिए लेकिन मुझे कांग्रेस को मजबूत करने के लिए काम दिया जाए। उसके बाद भी हमारी बात नहीं मानी गई थी।
गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को भेजे गए पत्र में लिखी थी ऐसी बात
गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को भेजे गए पत्र में लिखा था कि यूपीए सरकार की संस्थागत अखंडता को खत्म करने वाला रिमोट कंट्रोल मॉडल अब कांग्रेस पर लागू होता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी लिखा था कि आपके पास सिर्फ नाम का नेतृत्व है, अब सभी फैसले या तो राहुल गांधी लेते हैं या फिर इससे भी बदतर स्थिति में उनके सुरक्षाकर्मियों निजी सहायक लेते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान दिलाने के लिए पत्र लिखने वाले पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं को अपशब्द कहे गए और उन्हें नीचा दिखाया गया था। उन्होंने लिखा था कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ निकालनी चाहिए थी।