Pahalgam Terror Attack: असावरी जगदाले, जिनके पिता संतोष जगदाले और चाचा कौस्तुभ गणबोटे पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए थे, ने कहा कि बेकसूर लोगों को गोलियां बरसाने वाले दहशतगर्द इंसान नहीं, बल्कि राक्षस थे। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में पहलगाम शहर के पास एक घास के मैदान में मंगलवार दोपहर आतंकियों ने हमला कर दिया।
आतंक का सामना करने का साहस दिखाया
आतंकवादियों द्वारा की गई ताबड़तोड़ गोलीबारी में कम से कम 26 लोग मारे गए और कई घायल हो गए। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है और दुनिया भर में इसकी निंदा की जा रही है। हमले के संबंध में बात करते हुए 26 वर्षीय असावरी ने कहा, “वे इंसान नहीं, राक्षस थे,” जिन्होंने नरसंहार स्थल पर और बाद में अस्पताल में अपनी मां और गणबोटे की पत्नी संगीता को मदद दे करके आतंक का सामना करने का साहस दिखाया।
उन्होंने बताया, “जब हम बैसरन घाटी में मिनी स्विटजरलैंड नामक स्थान पर फोटोशूट करने में व्यस्त थे, तो अचानक हमें गोलियों की आवाज सुनाई दी। हमने कुछ स्थानीय लोगों से इसके बारे में पूछा और उन्होंने दावा किया कि स्थानीय लोग बाघों को डराने के लिए गोलियां चलाते हैं। हालांकि, उस पल की भयावहता हमें तब समझ में आई जब हमने देखा कि कुछ लोग गोली खा रहे थे, जबकि कुछ लोग कलमा पढ़ रहे थे। हम जानते थे कि यह कुछ और ही था।”
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असावरी ने बताया, “लगभग 22-24 साल के एक आतंकवादी ने मेरे पिता से उठने के लिए कहा। मेरे पिता ने उससे उन्हें नुकसान न पहुंचाने का रिक्वेस्ट किया। उसने ठंडे स्वर में कहा कि वह हमें दिखाएगा कि कैसे मारना है और तीन गोलियां चलाईं, जिनमें से एक मेरे पिता के सिर पर लगी, दूसरी कान के आर-पार हो गई और तीसरी उनकी छाती में जा धंसी,”
उसके चाचा कौस्तुभ गणबोटे को सिर के पीछे गोली लगी, गोली उनकी आंख में जा लगी, जबकि अन्य पुरुषों को भी गोली मार दी गई, उसने उन पलों को याद करते हुए कहा जब पर्यटक स्थल पर छुट्टियां मना रहे लोगों की खुशी एक बुर सपने में बदल गई।
आतंकवादियों ने कलमा पढ़ने को कहा
उन्होंने कहा, “आतंकवादियों ने लोगों से ‘कलमा’ (इस्लामी आयतें) पढ़ने को कहा। जो पढ़ सकते थे, उन्होंने पढ़ा। जो नहीं पढ़ सकते थे, उन्होंने नहीं पढ़ा। मेरे पिता के कहने के बावजूद कि वे जैसा कहा गया है वैसा ही करेंगे, आतंकवादियों ने उन्हें और मेरे चाचा को गोली मार दी। हमें यह भी पता चला कि एक व्यक्ति को सिर में गोली मार दी गई थी, जब वह अपनी पत्नी और बेटे के लिए नाश्ता खरीदने गया था, जो फोटोशूट में व्यस्त थे।”
असावरी ने बताया, “लड़के ने आतंकवादियों से उसे और उसकी मां को भी मारने के लिए कहा, लेकिन वे यह कहते हुए चले गए कि वे महिलाओं और बच्चों को नहीं मारेंगे। इस तबाही के बीच, मैंने हिम्मत जुटाई और अपनी मां और चाची के साथ भागने में कामयाब रही। नीचे आते समय, मेरी मां के पैर में चोट लग गई। एक टट्टू सवार ने हमें सहारा और उम्मीद दी। उसने हमें हमारी गाड़ी तक टट्टू पर बिठाया।”
इंसान इतनी क्रूरता से किसी को नहीं मार सकते
उन्होंने कहा कि वह अभी भी अपने पिता, जिनकी चिता उसने दिन में जलाई थी, और अपने चाचा की मौत को स्वीकार नहीं कर पाई है। उन्होंने नम आंखों से कहा, “पूरा घटनाक्रम भयावह था। आतंकवादियों ने जिस क्रूरता से लोगों को मारा, उससे पता चलता है कि वे इंसान नहीं थे। वे राक्षस थे। इंसान इतने क्रूर नहीं हो सकते।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और पीड़ितों के परिवारों की भी मदद करनी चाहिए।