देश में लगातार तेल के दाम बढ़ रहे हैं, एलपीजी और सीएनजी गैस के दाम में भी बढ़ोत्तरी से लोगों को महंगाई का डर सताने लगा है। बढ़ते तेल के दाम को लेकर विपक्ष की पार्टियां सरकार पर तंज कस रही हैं। जबकि सरकार का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण तेल दाम पर इसका असर पड़ा है।
बढ़ते तेल के दाम पर क्या बोले अखिलेश यादव?: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सरकार पर तंज कसते हुए ट्वीट किया है कि “जनता कह रही है कि 80 पैसे प्रतिदिन या लगभग 24 रु. महीने के हिसाब से पेट्रोल के दाम यूं ही बढ़ते रहे तो अगले जो चुनाव नवंबर-दिसंबर में होंगे, इस बीच 7 महीने में दाम लगभग 175 रु. बढ़ जाएंगे, मतलब आज के 100 रु लीटर से बढ़कर पेट्रोल 275 रु. लीटर हो जाएगा। ये है भाजपाई महंगाई का गणित!”
लोगों की प्रतिक्रियाएं: अखिलेश यादव के इस ट्वीट पर कुछ अपना समर्थन दे रहे हैं तो कुछ लोग अखिलेश यादव पर ही तंज कस रहे हैं। आइये देखते हैं लोग किस तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। सुजीत नाम के यूजर ने लिखा कि “भाजपा लगातार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा रही है और विपक्ष के नेता ट्विटर-ट्विटर खेल रहे हैं इसलिए UP वालों को एक मौका अब केजरीवाल को देना चाहिए।”
केपी पाठक नाम के यूजर ने लिखा कि “जिस देश की 80 करोड़ जनता 5 किलो राशन पर जिंदा हो, उस देश के लोग दुनिया का सबसे महंगा पेट्रोल खरीदकर भी चुप हैं!” रोहित सिंह यादव नाम के यूजर ने लिखा कि “भाजपा के राज में विकास तो दोगुना नहीं हुआ बल्कि महंगाई दोगुनी जरूर हो गई है।” वीके सिंह नाम के यूजर ने लिखा कि तो “क्या हो गया, देश सुरक्षित हाथों में है पेट्रोल डीजल से जो लाभ मिलता है वह गरीब और देश हित में ही सरकार खर्च होता है, आपको बताने की जरूरत नहीं है 1000 रुपया भी खरीदेंगे।”
सुदीप यादव ना के यूजर ने लिखा कि “अगर आपकी सरकार बनती तो क्या पेट्रोल-डीजल मुफ्त देने लगते या वैट खत्म कर देते? जितने विपक्षी दल हैं, सब सोशल मीडिया पर ही नौटंकी करते है, असल में करना कुछ नहीं है इनको, जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में भी कोई दल पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने के लिए राजी नहीं होता।” उम्मीद नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि “इसका मतलब मोदी सरकार 15 साल बाद पेट्रोल 4368 रुपये लीटर बेचेगी ? 25 साल बाद 7280 रुपये लीटर?”
तरुण बिस्ट नाम के यूजर ने लिखा कि “आखिर पेट्रोल-डीजल के दाम सरकार रोज बढ़ा रही है तो रोजगार देने का लक्ष्य 100 दिन बाद का क्यों? रोज का क्यों नहीं।” प्रदीप वर्मा नाम के यूजर ने लिखा कि “ऐसी ही कैल्क्युलेशन करके तुम 400 सीट पा रहे थे।” सुधीर कुमार नाम के यूजर ने लिखा कि “जनता बेवकूफ है, जितना मारें, उतना ही हंसती है जनता। शायद इसीलिए फिर से महंगाई को चुना है।”