फसल खरीदी की मांग को लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर दिल्ली में ही आंदोलन कर रहे हैं।  केसीआर ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जल्द से जल्द नई कृषि नीति लाओ वरना हम सत्ता से हटा देंगे। पार्टी नेताओं के साथ विरोध-प्रदर्शन कर रहे केसीआर ने कहा कि पीएम तो माफी के सौदागर हैं। इस आंदोलन में राकेश टिकैत भी शामिल हैं।

राकेश टिकैत ने ट्विटर पर लिखा कि ‘एक राज्य सरकार (तेलंगाना) किसानों की फसल खरीद की मांग को लेकर केंद्र के खिलाफ धरने पर बैठे यह शर्मनाक स्थिति है। केंद्र को सभी राज्यों के किसानों का एक – एक दाने की खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए। वरना किसानों को तो मजबूरन सड़क पर आना ही पड़ेगा।’ राकेश टिकैत के इस ट्वीट पर अब लोग भी अपनी राय दे रहे हैं।’

मोहित नाम के यूजर ने लिखा कि ‘टिकैत साहब ध्यान से बाबा फॉम में हैं, बाद में मत कहना वरना आपके जो पेट्रोल पंप और सम्पत्ति है, कहीं उसकी जांच का ऑर्डर ना पास हो जाए।’ आशुतोष नाम के यूजर ने लिखा कि ‘आ जाओ सड़क पर, पहले फाइनेंसर तो खोज लो।’ जय मौर्या नाम के यूजर ने लिखा कि ‘अपने आप को किसानों का नेता कहने वाले टिकैत जब पंजाब में किसानों के ऊपर AAP पार्टी ने लाठियां बरसाई और किसानों को घायल किया, तब तुम्हारी जबान पर ताला लग गया था?’

आशा श्री नाम की यूजर ने लिखा कि ‘राकेश टिकैत जी, लंबे समय तक चलने वाले किसान आंदोलन मे तीन कानूनों की वापसी ही काफी नहीं थी। सभी अनाजों पर एमएसपी भी जरूरी था जिसको आपने नजरअंदाज कर दिया। आज किसान भाईयों की सारी परेशानी यही है कि उनको अनाज का लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा। बस दलालों की चांदी है।’ रणधीर नाम के यूजर ने लिखा कि ‘राकेश टिकैत जैसे लोग ही नहीं उभरने देते किसानों को, अगर किसान विकसित हो गया तो इनके आंदोलन कैसे चलेंगे।’

मोहित त्यागी नाम के यूजर ने लिखा कि ‘तो राज्य सरकार फसल क्यों नहीं खरीद रही?’ कुलदीप सिंह नाम के यूजर नेलिखा कि ‘चचा जब तुम आंदोलन कर थे तब भी किसान खेतों में था और आज भी खेतों में ही है। हां कुछ लोग हैं जो बात-बात पर सड़क पर आने की बात करते हैं।’ संत नाम के यूजर ने लिखा कि ‘हो गया,  बस अब ट्वीटर पर ही खेलो।’

कमल नाम के यूजर ने लिखा कि ‘सारा काम केंद्र का ही है क्या? राज्य सरकार सिर्फ वोट लेने के लिए है?’ सचिन नाम के यूजर ने लिखा कि ‘तेलंगाना सरकार को किसने रोका फसल खरीदने से?’ सुधीर नाम के यूजर ने लिखा कि ‘अरे थोड़ा, पंजाब भी देख लो वहां पुलिस किसानों को मार रही है।’