दिल्ली बॉर्डर पर तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को चल रहा किसान आंदोलन लगभग 7 महीने पूरे हो गए हैं। ऐसे में अभी भी किसान नेता अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि जब तक सरकार इनका ले कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती तब तक हम सब घर वापस नहीं लौटेंगे।

किसान मानसून सत्र के दौरान संसद भवन के बाहर 22 जुलाई को प्रदर्शन भी करेंगे। संसद बाहर के प्रदर्शन करने के मुद्दे पर संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट के जरिए लिखा कि संसद अगर अहंकारी और अड़ियल हो तो देश में जनक्रांति निश्चित होती है।

उनके इस ट्वीट पर लोग अपनी प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं। कुछ यूजर उनके इस प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कमेंट कर रहे हैं वहीं कुछ यूजर उनको नकली किसान बताते हुए अपनी बात कह रहे हैं। एक टि्वटर यूजर ने उनके ट्वीट पर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए लिखा कि, ‘अहंकार भी टूटेगा, अब सब्र जो टूटेगा संसद से लेकर गाँव तक, अब हर जगह से इंक़लाब का नारा उठेगा।’ वहीं एक यूजर ने लिखा कि अपने अंदर झांक कर देखिए सर जी आप कितने अहंकारी घमंडी और जिद्दी है।

@KARUNASHANKEROJ 130 टि्वटर हैंडल से राकेश टिकैत पर तंज कसते हुए लिखा गया कि, ‘करोड़ों भारत की जनता ने संसद को चुना है। तुम्हारी औकात तो विधायक बनने की भी नहीं है। लोकतंत्र में संसद सर्वोपरि होती है। तुम्हारे जैसे चन्द लोगों के इकट्ठा होकर गैर कानूनी मांग रख कर यह कहना कि सरकार अहंकारी हैं, यह ग़लत है। अब पूरे देश को पता चल गया है कि तुम किसान नहीं हो।’ एक ट्विटर अकाउंट से कमेंट आया कि लाल क़िले पर पहले हमला कर चुके हे इस बार संसद पर, और कितना गिरोगे फ़र्ज़ी किसान?

पवन चौधरी नाम के ट्विटर यूजर लिखते हैं कि अड़ियल और अहंकारी संसद नहीं है टिकैत साहब बल्कि बीजेपी है। एक टि्वटर यूजर ने उनके ट्वीट का समर्थन करते हुए लिखा कि, ‘यह लड़ाई अँग्रेजों को भारत से बाहर निकालने से भी बड़ी होगी इन काले अँग्रेजों को इनकी ही भाषा में सबक सिखाने का समय है।’