कांग्रेस नेता और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू पुलवामा आतंकी हमले के बाद दिए गए अपने बयान को लेकर आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं। दरअसल पुलवामा हमले के बाद जब पत्रकारों ने नवजोत सिंह सिद्धू से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो सिद्धू ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की पैरवी की और दोषियों को सजा देने की बात कही। अब ऐसे हालात में जब देश ने आतंकी हमले में अपने 40 जवान खो दिए हैं, ऐसे में, लोगों को सिद्धू की पाकिस्तान के साथ बातचीत की बात नागवार गुजरी और लोगों ने उनकी आलोचना शुरु कर दी। हालांकि सिद्धू अभी भी अपने स्टैंड पर कायम हैं। एबीपी न्यूज के साथ बातचीत में जब पत्रकार ने सिद्धू से सवाल किया कि आपने कहा था कि करतारपुर साहिब के लिए पाकिस्तान सरकार और आर्मी एक पेज पर है, तो फिर आप अब इमरान खान को चिट्टी लिखकर ये क्यों नहीं पूछते कि आतंक के सफाए के लिए भी पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तान आर्मी एकमत क्यों नहीं हो सकते?
इस सवाल के जवाब में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि ‘पाकिस्तान का कहना है कि उनके लोग भी मर रहे हैं।’ सिद्धू ने कहा कि ‘जो गलत काम करता है उसे कड़ी सजा देनी चाहिए, लेकिन चंद लोगों की वजह से पूरे देश के लोगों को बदनाम करना सही नही है।’ सिद्धू ने कहा कि ‘अच्छे और बुरे लोग हर जगह हैं। मेरा मानना है कि बुरे लोगों को सजा देनी चाहिए और अच्छे लोगों के साथ बातचीत करनी चाहिए।’ बातचीत के दौरान पत्रकार ने सिद्धू को बताया कि जब तक पाकिस्तान में हाफिज सईद, मौलाना मसूद अजहर जैसे लोग बैठे हैं तो दोनों देशों के बीच शांति कैसे हो सकती है? इस पर कांग्रेस नेता ने कहा कि इसके कारणों का पता लगाना चाहिए और उन्हें दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। एक-दूसरे को गालियां देने से कुछ हल नहीं होगा।
सिद्धू ने कहा कि जो आतंकवादी हैं, उन्हें जरुर दंडित किया जाना चाहिए, लेकिन कुछ लोगों की वजह से पूरे मुल्क को, पूरी कौम को कटघरे में खड़ा करना सही नहीं है। इस पर जब पत्रकार ने सिद्धू से सवाल किया कि पाकिस्तान ने आतंकियों को क्यों नहीं पकड़ा? क्यों आतंकियों को भारत के हवाले नहीं करता? इस पर सिद्धू ने कहा कि इस बात का जवाब तो पाकिस्तान ही दे सकता है, इसका जवाब उनके पास नहीं है। जब पूर्व क्रिकेटर से पूछा गया कि क्या आप अब भी कहेंगे कि ‘आप मक्के की रोटी खाइए और हम आपकी बिरयानी खाएंगे?’ इसके जवाब में सिद्धू ने कहा कि उनका मानना है कि हिंसा से किसी मुद्दे का हल नहीं किया जा सकता। मुद्दे हल करने के लिए बातचीत ही करनी होती है। अगर हमलों से घबराकर हम बातचीत ही बंद कर देंगे तो हम ये रास्ता भी बंद कर देंगे।