पीएम मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर विवाद खड़ा हो गया है। इसी बीच डॉक्‍यूमेंट्री को ‘प्रोपेगेंडा का हिस्सा’ बताते हुए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, सेवानिवृत्त नौकरशाहों और सेवानिवृत्त सशस्त्र बलों के अधिकारियों सहित 302 हस्ताक्षरकर्ताओं ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ बयान जारी किया है। खबरों की मानें तो ट्विटर पर शेयर किये गये बीबीसी के लिंक वाले ट्वीट को हटाने का भी आदेश दिया गया है।

सरकार ने उठाया ये कदम

जानकारी के अनुसार, ऐसे 50 ट्वीट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया गया है, जिसमें यूजर्स ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री वाले यूट्यूब लिंक्स को शेयर किया था। सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी सामने आते ही लोग सरकार पर तंज कस रहे हैं। कोई इसे आपातकाल बता रहा है तो कोई तंज में आजादी का अमृत महोत्सव कह रहा है।

लोगों के रिएक्शन

@NiralaChandan1 यूजर ने लिखा कि काहे का डेमोक्रेटिक देश बनते हो, सीधा डिक्टेटरशिप ही घोषित कर दो। @prabhat_sharmaa यूजर ने लिखा कि आजादी का अमृत महोत्सव। @AShaikhINC यूजर ने लिखा कि बीजेपी सरकार सच्चाई को कितना भी छुपाने की कोशिश करे, दुनिया मोदी को वही कहती है जो वह वास्तव में हैं। @ProudIn35134576 यूजर ने लिखा कि कश्मीर फाइल्स के समय सरकार द्वारा कहा जा रहा था कि आलोचना का स्वागत होना चाहिए।

कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से इस खबर को शेयर कर हुए लिखा गया है, “डरपोक”। वहीं कई लोगों ने बीबीसी के खिलाफ भी ट्वीट किया है, जिसमें लिखा है कि बीबीसी पीएम मोदी की छवि को धूमिल करना चाहता है। कांग्रेस के ट्वीट पर @DevMKarandikar यूजर ने लिखा कि क्या कांग्रेस को देश की सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर भी भरोसा नही है? या देश के न्यायालय के निर्णय से ज्यादा भरोसा बीबीसी की बकवास पर है ? एक यूजर ने लिखा कि बीबीसी के वीडियो को नहीं बल्कि बीबीसी को ही बैन कर देना चाहिए।

बता दें कि सरकार की तरफ से डॉक्यूमेंट्री का लिंक शेयर करने वाले चैनल को ब्लॉक करने का आदेश 20 जनवरी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव ने आईटी नियम, 2021 के तहत मिलने वाली इमरजेंसी पावर के अंतर्गत दिया। सूत्रों की मानें तो यूट्यूब और ट्विटर को आदेश को मानना पड़ेगा। सरकार की ओर से कहा गया कि प्रधानमंत्री पर बीबीसी की डॉक्‍यूमेंटी दुष्‍प्रचार, पक्षपाती और औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाती है।